Gujarat Officials Accept Bribes in EMIs: गरीबों पर न पड़े पैसे का बोझ, इसलिए किश्तों में लेते हैं रिश्वत; गुजरात के भ्रष्ट अधिकारियों की खुली पोल

गुजरात से रिश्वतखोरी का ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आप भी गुस्से से लाल हो जाएंगे. दरअसल, यहां के कुछ भ्रष्ट अधिकारी लोगों पर पैसों का ज्यादा बोझ नहीं डालना चाहते, इसलिए उनसे किस्तों में रिश्वत ले रहे हैं.

Bribe | Photo Credit- Pixabay

Gujarat Officials Accept Bribes in EMIs: गुजरात से रिश्वतखोरी का ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आप भी गुस्से से लाल हो जाएंगे. दरअसल, यहां के कुछ भ्रष्ट अधिकारी लोगों पर पैसों का ज्यादा बोझ नहीं डालना चाहते, इसलिए उनसे किस्तों में रिश्वत ले रहे हैं. TOI में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक,  गुजरात में EMI के रूप में रिश्वत लेने के ऐसे ही कई मामले सामने आए हैं. दरअसल, इस साल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा ऐसे 10 मामले दर्ज किए गए हैं.

एसीबी के अधिकारियों ने बताया कि मार्च 2024 में जीएसटी फर्जी बिलिंग घोटाले में एक व्यक्ति से 21 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की गई थी. यह रकम 2-2 लाख रुपये की दस किस्तों और 1 लाख रुपये की एक किस्त में बांटी गई थी, जिससे कि एक बार का भुगतान बहुत भारी न हो जाए.

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एक या दो नहीं, कुल 10 मामले आए हैं सामने

ऐसे कई मामले सामने आए हैं. 4 अप्रैल को सूरत के एक उप सरपंच ने एक ग्रामीण के खेत को समतल करने के लिए 85 हजार रुपये की रिश्वत मांगी. ग्रामीण की वित्तीय स्थिति को देखते हुए अधिकारी ने किसान को EMI का ऑप्शन सुझाया. इसके बाद उसे 35 हजार रुपये एक साथ और बाकी 3 बराबर किश्तों में देने के लिए कहा गया. ऐसा ही एक अन्य मामला साबरकांठा से भी आया है. यहां दो पुलिसकर्मी एक युवक के 4 लाख रुपये लेकर फरार हो गए, यह राशि उनके द्वारा मांगे गए कुल 10 लाख रुपये की पहली किस्त थी. इसके अलावा एक अन्य मामले में, साइबर क्राइम पुलिस अधिकारी ने 10 लाख रुपये की मांग की थी, जिसे चार किस्तों में बांटा गया था.

ऐसे अपराध पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी

एसीबी के निदेशक और डीजीपी (कानून एवं व्यवस्था) शमशेर सिंह का कहना है कि पूरा भुगतान करके घर, कार या कोई भी मूल्यवान वस्तु खरीदने में असमर्थ व्यक्ति ईएमआई पर ऋण लेता है. वहीं भ्रष्ट अधिकारी अब रिश्वत के लिए भी यही प्रथा लागू कर रहे हैं. इस तरह से किस्तों में रिश्वत लेने की प्रथा बढ़ रही है. फिलहाल, मामले की गंभीरता को देखते हुए इस पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी है.

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