बोहरा समुदाय: जानें PM मोदी के साथ हमेशा खड़ा रहने वाला ये समुदाय कैसे हैं सुन्नी मुसलमानों से अलग और सियासत में क्या है महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को इंदौर जा रहें हैं. यहां पीएम बोहरा समुदाय के वआज (प्रवचन) में हिस्सा लेंगे. इस दौरान वे दाऊदी बोहरा समुदाय के धर्मगुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन से मुलाकात करेंगे.

(बोहरा समुदाय के कार्यक्रम में पीएम मोदी) Photo Credit: ANI

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को इंदौर दौरे पर हैं. पीएम बोहरा समाज के वाज (प्रवचन) में हिस्सा लेने पहुंच चुके है. इस दौरान उन्होंने दाऊदी बोहरा समुदाय के धर्मगुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन से मुलाकात की. बोहरा समाज के इतिहास में यह पहला मौक होगा, जब कोई पीएम उनके धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होगा.  इस दौरान यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं और ड्रोन कैमरे व सीसीटीवी से नजर रखी जा रही है. इसके अलावा शहर के लोगों को परेशानी से दूर रखने के लिए कई स्थानों पर मार्ग परिवर्तित भी किए गए हैं.

पीएम मोदी की लोकप्रियता देश-विदेश हर जगह है. हालांकि मुस्लिम समुदाय में उनकी लोकप्रियता को लेकर कई मतभेद हैं. फिर भी कई मुस्लिम ऐसे हैं जो शुरुआत से पीएम मोदी के साथ रहें है. ऐसा ही एक तबका है बोहरा समुदाय. बोहरा समुदाय मुस्लिम समाज का एक वह हिस्सा है जो पीएम मोदी का साथ तब से निभा रहा है जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे.

कौन है बोहरा समुदाय?

मुस्लिम समुदाय को मूल रूप से दो हिस्सों में बांटा गया है. शिया और सुन्नी. इसके अलावा इस्लाम को मानने वाले लोग कई फिरकों में बंटे हुए हैं. इन्हीं में से एक हैं बोहरा मुस्लिम. दाउदी बोहरा मान्यताओं में शियाओं के करीब होते हैं. बोहरा समुदाय के लोग कई मामलों में खुद को देश के बाकी मुस्लिमों से अलग मानते हैं.

बोहरा समुदाय के ज्यादा लोग व्यापारी हैं. देश में बोहरा समुदाय की आबादी लाखों की है. ये विशेष रूप से गुजरात के सूरत, अहमदाबाद, जामनगर, राजकोट, दाहोद, महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे व नागपुर, राजस्थान के उदयपुर व भीलवाड़ा और मध्य प्रदेश के उज्जैन, इन्दौर, शाजापुर, जैसे शहरों और कोलकाता व चेन्नई में बसते हैं.

बोहरा समुदाय क्यों देता है पीएम का साथ

गुजरात में मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 9 फीसदी है. इनमें बोहरा समुदाय महज एक फीसदी है. ये कारोबारी समुदाय है. 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बोहरा समुदाय का घर और दुकानें जला दी गई थीं. इसमें उनका काफी नुकसान हुआ था.

इन दंगों के बाद हुए विधानसभा चुनाव में बोहरा समुदाय ने बीजेपी का विरोध किया था. बावजूद इसके नरेंद्र मोदी ने सत्ता में वापसी की. इसके बाद मोदी ने गुजरात में व्यापारियों की सुविधा के हिसाब से नीतियां बनाईं जो बोहरा समुदाय के उनके साथ आने की बड़ी वजह बनीं. नरेंद्र मोदी का बार-बार बोहरा समुदाय के लोगों से मिलना भी इस समुदाय को मोदी और बीजेपी के करीब लाया.

मध्यप्रदेश में होने हैं विधानसभा चुनाव

मध्य प्रदेश में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. बोहरा समुदाय इस चुनाव में विशेष भूमिका निभाएगा. इंदौर के 4 नंबर सीट पर बोहरा समुदाय की करीब 40 हजार की आबादी है. इसके अलावा दूसरी तीन सीटें ऐसी हैं जहां 10 से 15 प्रतिशत वोट बोहरा समुदाय का है. इसके अलावा उज्जैन की शहर सीट पर बोहरा समुदाय के 22 हजार वोट हैं.

 

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