कोलकाता, 13 सितंबर : भ्रष्टाचार के विभिन्न मुद्दों को लेकर भाजपा ने मंगलवार की दोपहर में पश्चिम बंगाल सचिवालय तक मार्च निकालने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस बल ने मार्च का नेतृत्व कर रहे विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को सचिवालय नबन्ना पहुंचने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया. अधिकारी और पार्टी की लोकसभा सदस्य लॉकेट चटर्जी के नेतृत्व में शुरू किए गए विशाल मार्च को पुलिस बल ने विद्यासागर ब्रिज के प्रवेश बिंदु पर रोक दिया. इसे दूसरे हुगली ब्रिज के रूप में जाना जाता है, जो कोलकाता को निकटवर्ती हावड़ा जिले के मंदिरतला से जोड़ता है, जहां राज्य सचिवालय नबन्ना है. वहां मौजूद पुलिस अधिकारियों के साथ विवाद होने के बाद शुभेंदु अधिकारी और लॉकेट चटर्जी दोनों को गिरफ्तार कर जेल वैन में डाल दिया गया.
शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि उन्हें रोकने के लिए जानबूझकर महिला पुलिसकर्मियों तैनात किया गया था. शुभेंदु को जेल वैन में डालने की कोशिश कर रही महिला पुलिसकर्मियों पर चिल्लाते हुए भी सुना गया, "तुम महिला हो. मेरे शरीर को मत छुओ." बाद में शुभेंदु और लॉकेट, दोनों को मध्य कोलकाता के लालबाजार में कोलकाता पुलिस मुख्यालय ले जाया गया. शुभेंदु ने इस घटनाक्रम पर कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी. शुभेंदु अधिकारी ने कहा, "विपक्ष के नेता के साथ ऐसा व्यवहार उचित नहीं है. महिला कांस्टेबल लगातार मुझे धक्का दे रही थीं और वे तीन आईपीएस अधिकारियों ज्ञानवंत सिंह, आकाश मगरिया और सूर्यप्रताप यादव के निर्देशों पर ऐसा कर रही थीं." संयोग से, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार को पूर्वी मिदनापुर और पश्चिमी मिदनापुर जिलों के तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर कोलकाता से बाहर हैं. यह भी पढ़ें : गुरुग्राम के होटल में बम होने की धमकी निकली अफवाह, फोन कॉल करने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार
शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री के कोलकाता से बाहर रहने का मजाक उड़ाते हुए कहा, "ममता बनर्जी ने भाजपा की रैली को रोकने के लिए पूरे पुलिस बल को तैनात कर दिया और खुद डरकर कोलकाता से भाग गईं." राज्य के शहरी विकास और नगरपालिका मामलों के मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हाकिम ने शुभेंदु अधिकारी का मजाक उड़ाते हुए कहा कि विपक्ष के नेता यह समझते हुए कि उनकी पार्टी का पश्चिम बंगाल में कोई जनाधार नहीं है, इस तरह के नाटक का सहारा ले रहे हैं. हकीम ने कहा, "भाजपा में केवल नेता होते हैं, कार्यकर्ता नहीं होते. इसलिए, यह पार्टी बिना कार्यकर्ता के कभी भी जनसमर्थन नहीं पा सकती. भाजपा बेकार पार्टी है जो केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग करके जीवित है."