नए अवतार पर बोले बिहार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय- मैंने कोई पैसे लेकर कथावाचन का काम शुरू नहीं किया
बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय इन दिनों अपने नए अवतार को लेकर सुर्खियों में हैं. वजह है उनका नया कथावाचक वाला अवतार. हालांकि उन्होंने कहा कि 'नया अवतार' ये उन लोगों के लिए है, जो मुझे नहीं जानते. जो मुझे जानते हैं, उनके लिए ये आम बात है.
पटना: बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) इन दिनों अपने नए अवतार को लेकर सुर्खियों में हैं. वजह है उनका नया कथावाचक वाला अवतार. पहले पुलिस इसके बाद नेता बनने के बाद उन्हें अब कथावाचन बनने के बाद उनकी चर्चा बिहार में खूब हो रही हैं. हालांकि उन्होंने अपने इस नए अवतार को लेकर मीडिया में खबरें दिखाई जाने के बाद इसको लेकर नाराजगी जाहिर की हैं. उन्होंने कहा कि कि 'नया अवतार' ये उन लोगों के लिए है, जो मुझे नहीं जानते. जो मुझे जानते हैं, उनके लिए ये आम बात है.
पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि मैं 14 साल की आयु से ही हनुमान जयंती जैसे अलग-अलग मौकों पर लोगों को मंदिर में प्रवचन सुनाया करता था. आध्यात्म में मेरी शुरू से रुचि रही है. इसमें नया कुछ नहीं है. सेवा अवधि में भी मैंने कई अनुष्ठानों में हिस्सा लिया. लेकिन ड्यूटी के दौरान ऐसे कथा कहने की इजाजत नहीं थी, इसलिए मैंने तभी ऐसा नहीं किया. यह भी पढ़े: बिहार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय का नया अवतार, बने कथावाचक, सुना रहे हैं लोगों को श्रीमद्भागवत कथा
वहीं आगे पूर्व डीजीपी पांडेय ने कहा, मेरा मानना है कि ईश्वर के चरणों में जगह पाना इंसान का अंतिम लक्ष्य है. इसमें न्यूज जैसी कोई चीज नहीं है. लेकिन मीडिया का ध्यानवाद उन्होंने मेरे निजी जिंदगी को जनता तक पहुंचाया." पांडेय से मीडिया की तरफ से यह भी सवाल किया गया कि क्या उनका राजनीति में अब दिलचस्पी नहीं है. इस सवाल पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि ये समय की बात है. लेकिन अब भगवान के अलावा उनकी किसी चीज़ में कोई रुचि नहीं है. राजनीति बहुत छोटी चीज़ है.
बता दें कि मुंबई में फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के ख़ुदकुशी मामले में रिया चक्रवर्ती को लेकर चर्चा में रहने वाले गुप्तेश्वर पांडेय बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार पुलिस से वीआरएस लेने के बाद वे जेडीयू में शामिल हुए थे. उन्हें जेडीयू से यह उम्मीद थी कि उन्हें टिकट दिया जायेगा. लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिलने के वजह से वे काफी मायूस हुए. चुनाव बाद बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनने के बाद भी उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें मंत्रिमंडल में कोई पद दिया जायेगा. लेकिन मंत्रिमंडल में भी उन्हें कोई पद नहीं मिल सका.