बिहार में बाढ़ से 42 लोगों की मौत, जलजमाव के बीच पटना में बेबसी में कटी लोगों की एक और रात
बिहार (Bihar Flood) में आई जल प्रलय के बाद से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. बारिश के कारण अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है. भारी बारिश ने नीतीश सरकार की विकास के दावों की पोल खोल कर रख दी है. वहीं राजधानी पटना बाढ़ और बारिश के पानी में पूरी तरह डूब चुका है. अब भले ही बरसात थम गई हो लेकिन पटना में जलजमाव की स्थिति बनी हुई है. इसी बीच जब शहर का जायजा लेने सूबे के सीएम नीतीश कुमार बाहर निकले तो मीडिया के सवालों पर भड़क गए.
बिहार (Bihar Flood) में आई जल प्रलय के बाद से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. बारिश के कारण अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है. भारी बारिश ने नीतीश सरकार की विकास के दावों की पोल खोल कर रख दी है. वहीं राजधानी पटना बाढ़ और बारिश के पानी में पूरी तरह डूब चुका है. अब भले ही बरसात थम गई हो लेकिन पटना में जलजमाव की स्थिति बनी हुई है. इसी बीच जब शहर का जायजा लेने सूबे के सीएम नीतीश कुमार बाहर निकले तो मीडिया के सवालों पर भड़क गए. उन्होंने कहा कि 'मैं पूछ रहा हूं कि देश और दुनिया के कितने हिस्सों में बाढ़ आई है? क्या पटना के कुछ हिस्सों में पानी ही एकमात्र समस्या है? क्या हुआ अमेरिका में?. वैसे सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि लोगों तक जरूरत की चीजों को और उन्हें रेस्क्यू करने का काम जारी है. सरकार पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है.
बता दें कि मुख्यमंत्री ने श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में चलाये जा रहे आपदा राहत बचाव कार्य के लिये राहत सामग्री आपूर्ति, भंडारण, पैकेटिंग एवं निर्गत केन्द्र का जायजा लिया. बिहार भारी वर्षा से मरने वाले 42 लोगों में भागलपुर में दस, गया में छह, पटना एवं कैमूर में चार-चार, खगड़िया एवं भोजपुर में तीन-तीन, बेगूसराय, नालंदा एवं नवादा में दो-दो, पूर्णिया, जमुई, अरवल, बांका, सीतामढी एवं कटिहार में एक-एक व्यक्ति शामिल हैं.
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'व्यवस्था' की कुव्यस्था का परिणाम है पटना की स्थिति : गिरिराज
केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने बाढ़ और पटना में जलजमाव को लेकर बिहार सरकार को घेरा है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इसे प्राकृतिक आपदा बताए जाने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पटना का जलप्रलय प्राकृतिक आपदा नहीं, व्यवस्था की अव्यवस्था है, सरकार की चूक है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राहत व्यवस्था कागजों में सिमटी हुई है. प्रशासन के लिए बाढ़ उत्सव के समान है. विभागीय प्रावधान की आड़ में मानवीय संवेदना के साथ मजाक किया जा रहा है.