नई दिल्ली, 9 अगस्त : यह दो राज्यों का मामला है. एनडीए ने महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के साथ खुद को मजबूत किया जबकि बिहार में इसके ठीक उलट एनडीए को सत्ता से बाहर जाना पड़ा. महाराष्ट्र के विकास के बाद से विपक्ष का मनोबल टूट गया था, जहां भाजपा ने सफलतापूर्वक शिवसेना में तख्तापलट कर दिया, जिससे तीन-पक्षीय एमवीए सरकार गिर गई और फिर झारखंड के इसके रडार पर होने का अनुमान था. हालांकि, नीतीश कुमार ने सुर्खियों को बिहार में स्थानांतरित कर दिया.
महाराष्ट्र में एमवीए शासन के पतन ने राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित किया, जिसमें एनडीए उम्मीदवार ने विपक्षी उम्मीदवार को हराया, जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव में भी यही बात दोहराई गई. 2014 के बाद से जब भाजपा सत्ता में आई, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों ने तख्तापलट देखा है जहां विपक्ष के नेतृत्व वाली सरकारों को उखाड़ फेंका गया था. बिहार में, नीतीश कुमार राजद की मदद से फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं. यह भी पढ़ें : Bihar Politics: BJP ने दूर की सोचकर चले अपने पत्ते, इन कारणों की वजह से नीतीश कुमार को नहीं रोका
राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद उन्होंने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन की मदद से नई सरकार बनाने का दावा भी पेश किया है. जदयू ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से भी समर्थन वापस ले लिया है. पटना में व्यस्त राजनीतिक गतिविधियों के बीच, सूत्रों ने कहा कि सरकार गठन पर एक व्यापक सहमति बनाई गई है, जिसमें नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री, तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री और राजद के स्पीकर के रूप में बनाए रखना शामिल है.