बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, अब ये आंकड़ा 112 तक पहुंच गया है. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के कारण श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज में 93 बच्चे और केजरीवाल हॉस्पिटल की मौत हुई है. वहीं तकरीबन 418 बच्चों का इलाज अब भी अस्पतालों में चल रहा है, जिसमें कई की हालत नाजुक बताई जा रही है. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर जिले के एक अस्पताल का दौरा किया और इस दौरान उन्हें नाराज लोगों द्वारा की गई नारेबाजी का सामना करना पड़ा था.
वैसे एईएस के ज्यादातर मामले मुजफ्फरपुर में सामने आए हैं लेकिन पड़ोस के पूर्वी चंपारण और वैशाली जैसे जिलों में भी इस तरह के मामलों की खबर है. बता दें कि एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस और जापानी इंसेफलाइटिस यानी जेई को उत्तरी बिहार में चमकी बुखार के नाम से जाना जाता है. अगर समय रहते इसके लक्षणों को पहचानकर इलाज न कराया गया तो यह बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है.
Bihar: People who have come with their children at Sri Krishna Medical College and Hospital (SKMCH) in Muzaffarpur say that their children are suffering from fever and allege that they're not being admitted at the hospital. They also allege that no ORS was ever given to them. pic.twitter.com/Ov3TxDGpxj
— ANI (@ANI) June 19, 2019
गौरतलब है कि 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. इस कारण मरने वालों में अधिकांश की आयु एक से सात वर्ष के बीच है. इस बीमारी का शिकार आमतौर पर गरीब परिवार के बच्चे होते हैं. चिकित्सकों के मुताबिक, इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अंगों में रह-रहकर कंपन (चमकी) होना है.
Bihar: The death toll due to #AcuteEncephalitisSyndrome (AES), in Muzaffarpur, rises to 112. 93 died at Sri Krishna Medical College and Hospital (SKMCH) & 19 died at Kejriwal Hospital. pic.twitter.com/oD3gPLnUuq
— ANI (@ANI) June 19, 2019
ज्ञात हो कि प्रत्येक वर्ष इस मौसम में मुजफ्फरपुर क्षेत्र में इस बीमारी का कहर देखने को मिलता है. पिछले वर्ष गर्मी कम रहने के कारण इस बीमारी का प्रभाव कम देखा गया था. इस बीमारी की जांच के लिए दिल्ली से आई नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की टीम तथा पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम भी मुजफ्फरपुर का दौरा कर चुकी है.