बिहार 'चमकी बुखार' का तांडव बरकार, 24 घंटे में  75 नए केस, अब तक 112 बच्चों की मौत
चमकी बुखार का कहर बरकार ( फोटो क्रेडिट - IANS )

बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, अब ये आंकड़ा 112 तक पहुंच गया है. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के कारण श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज में 93 बच्चे और केजरीवाल हॉस्पिटल की मौत हुई है. वहीं तकरीबन 418 बच्चों का इलाज अब भी अस्पतालों में चल रहा है, जिसमें कई की हालत नाजुक बताई जा रही है. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर जिले के एक अस्पताल का दौरा किया और इस दौरान उन्हें नाराज लोगों द्वारा की गई नारेबाजी का सामना करना पड़ा था.

वैसे एईएस के ज्यादातर मामले मुजफ्फरपुर में सामने आए हैं लेकिन पड़ोस के पूर्वी चंपारण और वैशाली जैसे जिलों में भी इस तरह के मामलों की खबर है. बता दें कि एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस और जापानी इंसेफलाइटिस यानी जेई को उत्तरी बिहार में चमकी बुखार के नाम से जाना जाता है. अगर समय रहते इसके लक्षणों को पहचानकर इलाज न कराया गया तो यह बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है.

गौरतलब है कि 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. इस कारण मरने वालों में अधिकांश की आयु एक से सात वर्ष के बीच है. इस बीमारी का शिकार आमतौर पर गरीब परिवार के बच्चे होते हैं. चिकित्सकों के मुताबिक, इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अंगों में रह-रहकर कंपन (चमकी) होना है.

ज्ञात हो कि प्रत्येक वर्ष इस मौसम में मुजफ्फरपुर क्षेत्र में इस बीमारी का कहर देखने को मिलता है. पिछले वर्ष गर्मी कम रहने के कारण इस बीमारी का प्रभाव कम देखा गया था. इस बीमारी की जांच के लिए दिल्ली से आई नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की टीम तथा पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम भी मुजफ्फरपुर का दौरा कर चुकी है.