बिहार (Bihar) और असम (Assam) में बाढ़ का कहर जारी है. दोनों राज्यों में बाढ़ की चपेट में मरने वालों की संख्या बढ़कर 166 हो गई है. वहीं करीब 1.11 करोड़ लोग प्रभावित हैं. बाढ़ में फंसे ज्यादातर लोगों के पास खाने तक के लिए कुछ नहीं है. जुगाड़ के सहारे किसी तरह जिंदगी कट रही है. बाढ़ में बेघर हो चुके लोगों को सिर्फ मदद की आस है. असम में मरने वालों का आंकड़ा 64 पहुंच गया जबकि बिहार में यह आंकड़ा 102 रहा. बिहार में बाढ़ से 12 जिलों के 72.78 लाख लोग प्रभावित हैं जबकि असम के 33 जिलों में से 18 में रहने वाले 38.37 लाख लोग प्रभावित हैं. उधर, यूपी में लगातार हो रही भारी बारिश और नेपाल की ओर से आ रहे बहाव के चलते नदियां उफान पर हैं. कई जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं.
दरभंगा समेत बिहार के 12 जिलों के सैकड़ों गांवों की हालत बद से बदतर है. आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार मधुबनी और सीतामढ़ी में हालात ज्यादा खराब हैं. आपदा प्रबंधन विभाग ने एक रिपोर्ट में कहा कि सीतामढ़ी में 27 लोगों के मरने की सूचना है और यह बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित जिला है.
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सैकड़ों गांवों के ज्यादातर घरों में कमर से कंधे तक बाढ़ का पानी भरा हुआ है. ऐसे में लोगों की नजरें हमेशा आसमान की ओर हैं. शायद कोई हेलीकॉप्टर आए और कुछ खाने-पीने के लिए राहत साम्रगी गिरा जाए. बच्चे भूख से परेशान है. गांव के लोग कुछ खाने-पीने के सामान का इंतजाम करने में जुटे हैं.
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ की वजह से 13 जुलाई से अब तक 129 पशु मारे गए हैं, इनमें 10 गैंडे, आठ सांभर हिरण, आठ जंगली सुअर, पांच बारहसिंगा, एक हाथी और एक जंगली भैंस शामिल हैं. असम स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (ASDMA) के आंकड़ों के मुताबिक असम में बाढ़ से 1.79 लाख हेक्टेयर भूमि पर खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है. इंसानों के साथ-साथ जानवरों का भी बुरा हाल है. मशहूर काजीरंगा नेशनल पार्क व पोबीतोरा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का 90 फीसदी हिस्सा पानी में डूब चुका है. ब्रह्मापुत्र समेत अन्य नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर कायम है.