नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव की घटना के सिलसिले में गिरफ्तार पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को राहत प्रदान करते हुए उन्हें उनके घरों में ही नजरबंद रखने का फैसला दिया. अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 सितम्बर को होगी.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहना था कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, अगर असहमति की इजाजत नहीं होगी तो प्रेशर कूकर फट जाएगा.
Supreme Court observes, 'dissent is the safety valve of democracy. If dissent is not allowed then the pressure cooker may burst'. #BhimaKoregaon
— ANI (@ANI) August 29, 2018
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बता दे कि देश के कई हिस्सों में मंगलवार को पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में छापेमारी की. एजेंसियों ने एक्टिविस्ट और माओवादी नेताओं के घर पर की गई है. इसमें हैदराबाद में रह रहे क्रांतिकारी लेखक और माओवादी विचारक वारावरा राव, मुंबई में वरनॉन गोंजालेव्स, अरुण परेरा के घर पर छापा मारा है इसके अलावा छत्तीसगढ़ में सुधा भारद्वाज और गौतम नवलेखा का घर भी शामिल है.