Heart Attack: बच्चे हो या फिट जवान.. कम उम्र में मर रहे लोग, कारण जानने की कोशिश कर रहे विशेषज्ञ
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नई दिल्ली, 31 दिसंबर : कोविड महामारी के बाद, भारत में स्कूली छात्रों से लेकर फिट दिखने वाले मशहूर हस्तियों तक की मौत के मामले सामने आए हैं, जिनमें से ज्यादातर दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई हैं. क्या हम हार्ट फेलियर की एक और महामारी का सामना कर रहे हैं? सबसे ताजा मामले में, नौवीं कक्षा का एक छात्र योगेश सिंह, जयपुर के एक प्राइवेट स्कूल जाते समय गिर गया और हृदय गति रुकने से उसकी मौत हो गई.एक सप्ताह पहले, कर्नाटक के चिक्कमगलुरु जिले में स्कूल जाते समय दिल का दौरा पड़ने से सातवीं क्लास की एक 13 वर्षीय लड़की की मौत हो गई. ऐसा तब हुआ जब गुजरात में नवरात्रि के दौरान गरबा कार्यक्रमों में कई लोग बेहोश हो गए और कम से कम 10 लोगों की कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. पीड़ितों में सबसे छोटा कथित तौर पर सिर्फ 17 साल का था.

हाल ही में, 'गोलमाल' अभिनेता श्रेयस तलपड़े (47) और बॉलीवुड दिवा और पूर्व मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन (47) को दिल का दौरा पड़ने की खबर सामने आई थी. वहीं प्रसिद्ध तेलुगु अभिनेता और नाटककार हरिकांत का जुलाई में दिल का दौरा पड़ने से 33 साल की उम्र में निधन हो गया. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2021 की तुलना में 2022 में दिल के दौरे से होने वाली मौतों की संख्या में 12.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में दिल का दौरा पड़ने से 32,457 लोगों की मौत हुई, जो 2021 में दर्ज की गई 28,413 मौतों से काफी अधिक है. कोविड-19 के बाद कई अध्ययनों ने वायरस को हृदय की खराब कार्यप्रणाली से जोड़ा है. यह भी पढ़ें : Long COVID Definition: कोरोना वायरस कब बन जाता है लॉन्ग कोविड? जानें कितनी गंभीर है यह समस्या और किन लक्षणों पर देना चाहिए ध्यान

एक हालिया अध्ययन में, जापानी शोधकर्ताओं की एक टीम ने कोविड-19 के चलते "हृदय विफलता महामारी" के जोखिम की भविष्यवाणी की है. द मेनिची की रिपोर्ट के अनुसार, जापान के सबसे बड़े वैज्ञानिक संस्थान रिकेन के शोधकर्ताओं की टीम ने कहा कि हृदय में लगातार वायरल संक्रमण से हृदय की विफलता का खतरा बढ़ गया है, यहां तक कि हृदय रोग विकसित हुए बिना भी.कोविड महामारी के बाद, स्वस्थ आबादी के बीच भी, दिल के दौरे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. हालांकि कुछ लोगों ने इसे कोविड टीकाकरण से जोड़ा है, लेकिन डब्ल्यूएचओ, यूएस सीडीसी और आईसीएमआर जैसे वैश्विक स्वास्थ्य अधिकारियों ने दोनों के बीच संबंध से इनकार किया है.

उनके अध्ययनों से पता चला है कि बिना कोविड टीकाकरण वाले लोगों को कोविड के कारण हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा अधिक है, और टीके सुरक्षित रहे हैं. विशेषज्ञों ने ऐसे कई कारक भी बताए हैं जो दिल के दौरे के खतरे को बढ़ाते हैं, जैसे उच्च सोडियम आहार, व्यायाम की कमी, धूम्रपान, अत्यधिक शराब पीना, गतिहीन जीवन शैली आदि. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, उच्च हीमोग्लोबिन का स्तर दिल के दौरे, स्ट्रोक और रक्त के थक्कों के खतरे को भी बढ़ा सकता है. पॉलीसिथेमिया एक ऐसी स्थिति है जहां अस्थि मज्जा में असामान्यताओं के कारण मानव शरीर में लाल कोशिकाएं बढ़ जाती हैं. ये अतिरिक्त कोशिकाएं रक्त को गाढ़ा कर देती हैं, इसका प्रवाह धीमा कर देती हैं और रक्त के थक्के जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती हैं.

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में हेमेटोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के प्रधान निदेशक डॉ. राहुल भार्गव ने कहा, ''उच्च हीमोग्लोबिन के स्तर को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. इससे रक्त के थक्के जमने का खतरा बढ़ सकता है और कभी-कभी स्ट्रोक, दिल का दौरा और पैरों और पेट में रक्त के थक्के जैसी खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है.'' डॉक्टरों ने भी लंबे समय से जारी शारीरिक तनाव और जटिलताओं का हवाला देते हुए लोगों को अत्यधिक व्यायाम से बचने की चेतावनी दी है. फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद के कार्डियोलॉजी के निदेशक और एचओडी, डॉ. संजय कुमार ने आईएएनएस को बताया, ''गंभीर कोविड से बचे लोगों को अक्सर लंबे समय तक शारीरिक तनाव और जटिलताओं का अनुभव होता है जो उनके समग्र स्वास्थ्य और कल्याण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है.''

कुमार ने कहा, ''ये प्रभाव एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य शारीरिक तनावों में श्वसन संबंधी चुनौतियां, हृदय संबंधी समस्याएं, थकान, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, तंत्रिका संबंधी लक्षण, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं, घ्राण और स्वाद संबंधी गड़बड़ी शामिल हैं.'' दिल्ली के सी.के. बिड़ला अस्पताल में हड्डी रोग विभाग के निदेशक डॉ. अश्वनी माईचंद ने कहा कि अंधी महत्वाकांक्षा और उपेक्षित थकान मांसपेशियों, जोड़ों और हृदय पर बोझ डाल सकती है. उन्होंने अवास्तविक व्यायाम प्रवृत्तियों, अपर्याप्त मार्गदर्शन और अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों की अनदेखी के खिलाफ आह्वान किया. माईचंद ने कहा, "हमें एक फिटनेस इकोसिस्टम की आवश्यकता है जो चैंपियनों को प्रशिक्षण की जानकारी दे, व्यक्तिगत सीमाओं का सम्मान करे और अत्यधिक परिश्रम के खतरे को पहचाने."