Bank Strike: बैंक हड़ताल से छोटे और मझोले उद्योग प्रभावित
bank (बैंक ) ( photo credit : ians )

चेन्नई, 16 मार्च : तमिलनाडु (Tamil Nadu) में लघु और मझोले उद्योग बैंकिंग ट्रेड यूनियनों (Banking trade unions) की ओर से बुलाई गई दो दिवसीय हड़ताल से प्रभावित हुए हैं. हड़ताल से बैंकिंग परिचालन भी ठप पड़ा गया, जिससे लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ा. राज्यभर के एटीएम में रुपये भी खत्म हो गए हैं, क्योंकि शनिवार और रविवार को भी बैंक में छुट्टी होने के कारण संचालन नहीं हो सकता था और सोमवार को शुरू होने वाली दो दिन की बैंक हड़ताल के बाद एटीएम में रुपये नहीं भरे जा सके, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई. केंद्र सरकार द्वारा दो और बैंकों के निजीकरण के विरोध में सरकारी स्वामित्व वाली बैंकों की 160 शाखाओं के लगभग 60,000 बैंक कर्मचारी दो दिन की हड़ताल पर हैं. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी महासंघ (एआईबीईएफ) से सी.एच. वेंकटचलम (Ch. Venkatachalam) ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "अकेले चेन्नई में दो दिनों की बैंक हड़ताल से लगभग 5,150 करोड़ लेनदेन प्रभावित होंगे.

" बैंक की हड़ताल से छोटे और मझोले उद्योगों का अधिकांश हिस्सा प्रभावित हुआ है, क्योंकि ये उद्योग केवल नकद लेनदेन पर निर्भर हैं. चेन्नई में इक्कादुथंगल में लगभग 1500 छोटे और मध्यम उद्योग हैं और इन कारखानों के कर्मचारियों को आमतौर पर नकद में भुगतान किया जाता है. चेन्नई डिस्ट्रिक्ट स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (Chennai District Small Scale Industries Association) से टी.वी. हरिहरन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "इन लघु और मध्यम उद्योगों में से अधिकांश के मालिक केवल आठवीं या 10वीं कक्षा तक शिक्षित हैं और उन्हें ऑनलाइन लेनदेन के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है और इसलिए वे अभी भी नकदी और चेक लेनदेन पर ही निर्भर हैं." यह एसएमई साप्ताहिक मजदूरी का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि बैंक शनिवार से ही बंद हैं. यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र: सरकारी बैंको के प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ कर्मचारियों की दूसरे दिन भी अपनी हड़ताल जारी

प्रोक्सिमिटी सेंसर्स में विशेषज्ञता वाले एंबैटूर औद्योगिक एस्टेट की एक इकाई स्पेओन फैक्ट्रीज के मालिक एम. सहस्रनामम ने आईएएनएस से कहा, "मेरे पास 55 से अधिक श्रमिक हैं और कोविड महामारी के दौरान भी अच्छे ऑर्डर हैं. हालांकि, मैं अपने कर्मचारियों को लेकर चिंतित हूं, क्योंकि हम बैंक बंद होने के कारण उनके साप्ताहिक भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं." बैंक कर्मचारी संघ के नेताओं ने कहा कि हड़ताल दो और राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण की केंद्र सरकार की घोषणा के खिलाफ है. उनका कहना है कि अगर इन बैंकों को निजी क्षेत्र में बदल दिया जाता है, तो इन बैंकों की सामाजिक प्रतिबद्धता हमेशा के लिए चली जाएगी. वेंकटचलम ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण से इन बैंकों की सामाजिक प्रतिबद्धता प्रभावित होगी और इसलिए हम हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं. लोग इस हड़ताल की आवश्यकता को समझेंगे."