बेंगलुरु, 18 नवंबर : बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के विशेष आयुक्त डॉ. त्रिलोक चंद्रा ने गुरुवार को कहा कि बेंगलुरु की 1.3 करोड़ की आबादी अगले एक दशक में दोगुनी होकर 2.5 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है, जिससे शहर के बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ेगा. उन्होंने आगे कहा कि इसके परिणामस्वरूप अवैज्ञानिक शहरीकरण होगा जिससे शहर के नागरिकों के लिए भारी स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं पैदा होंगी. दुनिया की आबादी हुई आठ अरब के पार, आखिर जनसंख्या का यह विस्तार कैसे हुआ?
दूसरे दिन बेंगलुरू टेक समिट 2022 में 'वन हेल्थ एंड पैनडेमिक प्रिवेंशन' पर सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लोग विभिन्न कारणों से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं लेकिन इस तरह की विद्धि को झेलने की शहर की क्षमता इतनी मजबूत नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर बेंगलुरु के नागरिकों का स्वास्थ्य अच्छा और ठीक रखना है, तो नियमों और प्रशासन के सुचारू संचालन की आवश्यकता है.
विशेष आयुक्त ने कहा कि स्वास्थ्य केवल मनुष्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण भी शामिल है, जिसमें नागरिक रहते हैं, क्योंकि हाल के वर्षों में मनुष्य चिकनगुनिया और डेंगू जैसे जानवरों द्वारा फैलाई गई बीमारियों से पीड़ित रहा है, जिसमें कहा गया है कि 75 प्रतिशत संक्रमण जानवरों से फैलता है, जो खतरनाक है.
डॉ. त्रिलोक चंद्रा ने कहा कि ठोस कचरा, वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण सभी हदें पार कर चुका है. प्रदूषण के स्तर को कम करने के प्रयास सफल नहीं हुए हैं, इस दिशा में वार्ड और सामुदायिक स्तर पर आधुनिक तकनीकों को अपनाना होगा.
टाटा इंस्टीट्यूट फॉर जेनेटिक्स एंड सोसाइटी की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. फराह इश्तियाक ने कहा कि तेजी से शहरीकरण कई समस्याओं का अभिशाप रहा है. शहरी पारिस्थितिकी को बदलने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से उपयोग करने की तत्काल आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण झीलों, जल निकायों और पानी के अन्य स्रोतों को संरक्षित और साफ करने की आवश्यकता है.