सुप्रीम कोर्ट (SC) ने शुक्रवार को अयोध्या में गैर-विवादित भूमि ( Ayodhya lands) पर पूजा करने की अनुमति की मांग संबंधी एक याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा, "आप इस देश को शांति से नहीं रहने देंगे..किसी न किसी को हमेशा अपनी नाक घुसेड़नी ही है. शीर्ष न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court ) द्वारा लगाया गया पांच लाख के जुर्माने का आदेश रद्द करने से भी इंकार कर दिया.
बता दें कि कि अयोध्या विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मध्यस्थता से सुलझाया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद अयोध्या विवाद मामले को सुलझाने के लिए तीन सदस्यीय समिति द्वारा मध्यस्थता का आदेश दिया है. इस समिति के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एफ.एम.आई कलीफुल्ला, उनके साथ आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर व वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू इसके सदस्य हैं.
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शीर्ष अदालत ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था. इस संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.