नई दिल्ली: अयोध्या विवाद (Ayodhya dispute) मामले को मध्यस्थता से हल निकालने को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. कोर्ट में एक घंटे चली सुनवाई के बाद अदालत ने फैसले को अपने पास सुरक्षित रखा है. खबरों की माने तो अयोध्या विवाद मामले में मध्यस्थता को लेकर निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम पक्षकार मध्यस्थता के पक्ष में है, वहीं हिन्दू महासभा ने मध्यस्थता का विरोध किया है. उनकी तरफ से कहा गया कि इसके पहले भी अयोध्या विवाद मामले में मध्यस्थता कराने की कोशिश की गई. लेकिन कुछ भी निष्कर्ष नहीं निकल सका. इसलिए मध्यस्थता के लिए जाने का कोई मतबल नहीं.
बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य सहित हिंदू पक्षकारों ने अदालत के प्रस्ताव का विरोध किया. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले पर आदेश सुरक्षित रख लिया. उत्तर प्रदेश की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "यह (मध्यस्थता) उचित और विवेकपूर्ण नहीं होगा."राम लला की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील सी.एस.वैद्यनाथन ने मध्यस्थता का विरोध किया और अदालत से कहा कि भगवान राम की जन्मभूमि विश्वास व मान्यता का विषय है और वे मध्यस्थता में विरोधी विचार को आगे नहीं बढ़ा सकते. यह भी पढ़े: अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पर सुरक्षित रखा फैसला
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा साल 2010 में सुनाए गए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 याचिकाएं दायर की गई हैं. दरअसल, हाई कोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, राम लला और निर्मोही अखाड़े के बीच बांटने का आदेश दिया था, लेकिन अभी तक इस मामले का निपटारा नहीं हो पाया है. (इनपुट भाषा)