Avoid Protein Supplements: ICMR ने भारतीयों के लिए जारी किया संशोधित आहार दिशानिर्देश, लोगों से की यह अपील
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: File Image)

Avoid Protein Supplements: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research) ने शरीर के निर्माण के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट्स (Protein Supplements) का इस्तेमाल करने से बचने की नसीहत दी है. इसके साथ ही सूचित और स्वस्थ भोजन विकल्प चुनने के लिए नमक का सेवन सीमित करने, चीनी और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों (Ultra-Processed Foods) को कम करने व खाद्य लेबल पर जानकारी पढ़ने की सिफारिश की है.

शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय के तहत हैदराबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन (एनआईएन) ने आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने और गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) को रोकने के लिए बुधवार को संशोधित 'भारतीयों के लिए आहार दिशानिर्देश (डीजीआई)' जारी किए.

डीजीआई का मसौदा आईसीएमआर-एनआईएन (ICMR-NIN) के निदेशक डॉ हेमलता आर के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक समिति द्वारा तैयार किया गया है और कई वैज्ञानिक समीक्षाओं से गुजरा है. इसमें सत्रह दिशानिर्देश सूचीबद्ध किए गए हैं. डीजीआई में, एनआईएन ने कहा कि बड़ी मात्रा में प्रोटीन पाउडर का लंबे समय तक सेवन या उच्च प्रोटीन सांद्रता का सेवन हड्डी खनिज हानि और गुर्दे की क्षति जैसे संभावित खतरों से जुड़ा हुआ है.

इसमें यह भी कहा गया है कि चीनी कुल ऊर्जा सेवन के 5 फीसदी से कम होनी चाहिए. संतुलित आहार में अनाज व बाजरा से 45 फीसदी से अधिक कैलोरी और दालों, बीन्स और मांस से 15 फीसदी तक कैलोरी नहीं मिलनी चाहिए. बाकी कैलोरी नट्स, सब्जियों, फलों और दूध से आनी चाहिए. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कुल वसा का सेवन 30 प्रतिशत ऊर्जा से कम या उसके बराबर होना चाहिए. यह भी पढ़ें: भारत में 56 फीसदी बीमारियां अनहेल्दी डाइट के कारण, ICMR की स्टडी में बड़ा खुलासा, जारी की गाइडलाइंस

इसमें कहा गया है कि दालों और मांस की सीमित उपलब्धता और उच्च लागत के कारण, भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा अनाज पर बहुत अधिक निर्भर है, जिसके परिणामस्वरूप आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (आवश्यक अमीनो एसिड और आवश्यक फैटी एसिड) और सूक्ष्म पोषक तत्वों का कम सेवन होता है.

आवश्यक पोषक तत्वों का कम सेवन चयापचय को बाधित कर सकता है और कम उम्र से ही इंसुलिन प्रतिरोध और संबंधित विकारों का खतरा बढ़ा सकता है. अनुमान से पता चलता है कि भारत में कुल बीमारी का 56.4 फीसदी हिस्सा अस्वास्थ्यकर आहार के कारण है. स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) और उच्च रक्तचाप (एचटीएन) को काफी हद तक कम कर सकती है और टाइप 2 मधुमेह को 80 प्रतिशत तक रोक सकती है.

इसमें कहा गया है कि स्वस्थ जीवन शैली का पालन करके समय से पहले होने वाली मौतों का एक बड़ा हिस्सा रोका जा सकता है. इसमें कहा गया है कि शर्करा और वसा से भरे अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की खपत में वृद्धि, कम शारीरिक गतिविधि और विविध खाद्य पदार्थों तक सीमित पहुंच के कारण सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और मोटापे जैसी समस्याएं बढ़ गई हैं.