Atal Bihari Bajpai Punyatithi 2023: 3 बार प्रधानमंत्री, 9 बार लोकसभा सांसद और लोकप्रिय विदेश मंत्री! जानें अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक ग्राफ!

राजनीति अखाड़े के अजातशत्रु माने जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में 13 दिन, 1998 में 13 महीने और 1999 में पूरे पांच साल तक प्रधानमंत्री रहे हैं. वह ओजस्वी कवि, प्रखर वक्ता और बेहद लोकप्रिय विदेश मंत्री का दायित्व भी निभा चुके हैं. 16 अगस्त 2018 को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया.

Atal Bihari Bajpai Punyatithi 2023

राजनीति अखाड़े के अजातशत्रु माने जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में 13 दिन, 1998 में 13 महीने और 1999 में पूरे पांच साल तक प्रधानमंत्री रहे हैं. वह ओजस्वी कवि, प्रखर वक्ता और बेहद लोकप्रिय विदेश मंत्री का दायित्व भी निभा चुके हैं. 16 अगस्त 2018 को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया. अटल जी की पांचवीं पुण्यतिथि पर प्रस्तुत है अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक सफर के महत्वपूर्ण अंश. यह भी पढ़ें: Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: सदैव अटल स्मारक पर पहुचें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि- Video

* अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को अध्यापक पं. कृष्ण बिहारी वाजपेयी के ग्वालियर स्थित घर पर हुआ था.

* अटल जब कैशोर्य वयः में थे, पहली बार ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का विरोध करने के कारण अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें जेल में बंद कर दिया था. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनसंघ के प्रबल समर्थक रहे हैं.

* साल 1950 के दशक की शुरुआत में आरएसएस पत्रिका के संपादन के लिए कानून की पढ़ाई छोड़ दिया. बाद में आरएसएस छोड़कर भाजपा का उदारवादी चेहरा बनकर मुखर हुए. * राजनीति में उन्होंने सुनियोजित भागीदारी 1942-45 के भारत छोड़ो आंदोलन में एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में शुरू की थी. आरएसएस की सदस्यता मिलने के बाद वह आरएसएस के होकर रह गये.

* अटल बिहारी वाजपेयी की स्पष्टवादिता से प्रभावित होकर भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी उनके प्रबल प्रशंसक एवं समर्थक बन गये थे.

* साल 1953 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर में राज्य में प्रवेश के लिए परमिट की व्यवस्था और कश्मीर जाने वाले भारतीयों के प्रति ‘हीन’ व्यवहार के विरोध में श्यामाप्रसाद मुखर्जी एवं अटल जी आमरण अनशन पर बैठे थे. मुस्लिम बहुल प्रदेश होने से कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया थे. मुखर्जी एवं अटल जी के विरोध में उपवास के कारण पहचान पत्र की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया. इसके साथ ही कश्मीर और भारतीय संघ में एकीकरण तेज कर दिया गया, लेकिन श्याम प्रसाद मुखर्जी के हफ्तों जेल में रहने और बीमारी से निधन हो गया, लिहाजा भारत में कश्मीर का विलय ठंडे बस्ते में चला गया.

* अटल जी ने संसद के निचले सदन लोकसभा में 1957 से 2009 तक लगातार अपनी सेवाएं दी. * अटल जी भारत सरकार में पांच साल तक कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर कांग्रेसी शख्सियत थे.

* अटल बिहारी चार दशकों तक विपक्ष में रहने के बाद 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन संख्या बल की कमी के कारण वह केवल 13 दिनों तक प्रधानमंत्री पद पर रहे, क्योंकि एआईडीएमके सुप्रीमो जे जयललिता ने गठबंधन से अपना समर्थन वापस ले लिया था.

* साल 1974 में जब इंदिरा गांधी ने परमाणु परीक्षण किया था, तब अटल जी ने उन्हें खुलकर समर्थन दिया था. 11 मई 1998 में रूस, अमेरिका और ब्रिटेन जैसी शक्तियों के दबाव के बावजूद अटल जी ने पोखरण में एक के बाद एक तीन परीक्षण कर दुनिया को हैरान कर दिया था.

* कारगिल युद्ध में मिली सफलता से अटल जी को 1999 में एक अधिक स्थिर गठबंधन के प्रमुख के रूप में फिर से चुना गया, जो पूरे पांच साल तक चला.

* अटल जी एक उत्कृष्ट वक्त भी थे, प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई सरकार में भारत के विदेश मंत्री के रूप में वे काफी लोकप्रिय रहे. अपने कार्यकाल में अटल जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में पहली बार भाषण देकर खूब लोकप्रियता बटोरी थी.

* 1999 में पार्टी के धुरंधरों ने उन पर गलत तरीके से पाकिस्तान की यात्रा पर जाने का आरोप लगाया था, लेकिन तमाम आलोचनाओं से परे होकर अटलजी एक बस में सवार होकर लाहौर पहुंचे.

*. 27 मार्च 2015 को उनके आवास पर उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

* आजीवन कुंवारे रहे अटल जी एक ओजस्वी कवि भी थे. अपनी बातों को संसद में भी बड़े कटाक्ष के साथ प्रस्तुत करते थे.

* साल 2005 में स्वास्थ्य में नरमी के कारण अटल जी ने राजनीति से संन्यास ले लिया था, और नई दिल्ली स्थित 6-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे, 16 अगस्त 2018 को लंबी बीमारी के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली में अटल जी का निधन हो गया.

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