असम: आम भक्तों के लिए 30 जून से खुलेगा कामाख्या मंदिर, कोरोना संकट के चलते इस साल रद्द किया गया अंबुबाची मेला
कोरोना संकट के बीच अब 30 जून से असम स्थित गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर को आम भक्तों के लिए खोला जाएगा. कामाख्या मंदिर को माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, लेकिन कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए इस साल (22-25 जून तक आयोजित होने वाला कार्यक्रम) अंबुबाची मेले को रद्द कर दिया गया है.
गुवाहाटी: कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के प्रकोप के चलते देश के तमाम धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया गया था, लेकिन देश में लॉकडाउन (Lockdown) के पांचवें चरण की शुरुआत के साथ अनलॉक 1 (Unlock 1) के तहत धीरे-धीरे धार्मिक स्थल (religious Places) श्रद्धालुओं के लिए खुलने लगे. बता दें कि देश के कई धार्मिक स्थलों को भक्तों के लिए खोला जा चुका है और कोरोना संकट के बीच अब 30 जून से असम (Assam) स्थित गुवाहाटी (Guwahati) के कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) को आम भक्तों के लिए खोला जाएगा. कामाख्या मंदिर को माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. मंदिर के डोलोई (प्रमुख) का कहना है कि कामाख्या मंदिर को 30 जून से भक्तों के लिए खोला जाएगा, लेकिन कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए इस साल (22-25 जून तक आयोजित होने वाला कार्यक्रम) अंबुबाची मेले (Ambubachi Mela) को रद्द कर दिया गया है. उनका कहना है कि पिछले साल इस मेले में 25 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था.
मान्यता है कि जिस स्थान पर सती के योनी का भाग गिरा था, उसी स्थान पर कामाख्या देवी का यह प्राचीन मंदिर बना है. इसे कामक्षेत्र यानी कामदेव का क्षेत्र भी कहा जाता है. तंत्र साधना के लिए इस मंदिर को प्रमुख स्थान माना जाता है. हर साल यहां आयोजित होने वाले अंबुबाची मेले में हिस्सा लेने के लिए देश के कोने-कोने से तंत्र साधना करने वाले लोग पहुंचते हैं. यह मेला सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में मशहूर है. यह भी पढ़ें: ISKCON Digital Rath Yatra: कोरोना संकट के चलते इस्कॉन मंदिर करेगा डिजिटल रथ यात्रा का आयोजन, वर्चुअल पूजा-अर्चना और दर्शन के लिए ऐसे करें अपना रजिस्ट्रेशन
30 जून से भक्तों के लिए खुलेंगे कामाख्या मंदिर के कपाट
गौरतलब है कि हर साल कामाख्या मंदिर में तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है. प्रचलित मान्यता के अनुसार मेले के दौरान मंदिर का दरवाजा अपने आप बंद हो जाता है, क्योंकि इन तीन दिनों में देवी मां रजस्वला रहती हैं. तीन दिन बाद देवी के स्नान और पूजा के बाद इस मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खोले जाते हैं और भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है. यहां भक्तों को प्रसाद के रूप में गीला कपड़ा दिया जाता है, जिसे अंबुवाची वस्त्र कहते हैं. इस साल इस मेले का आयोजन 22 जून से 25 जून होना था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे रद्द कर दिया गया है.