कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में दिए भाषण को लेकर असम के सीएम ने राहुल गांधी पर साधा निशाना

राहुल ने पुलवामा हमले को कार बम के रूप में वर्णित किया जिसमें 40 सैनिक मारे गए. उन्होंने हमारे जवानों का अपमान करने की हिम्मत कैसे की? बम नहीं था सर, आतंकी हमला था. कोई आश्चर्य नहीं कि उन्होंने पुलवामा हमले के पीछे पाकिस्तान का नाम लेने से इनकार कर दिया. क्या यह आतंकवादियों के साथ कांग्रेस की समझ का हिस्सा है?

मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को कैंब्रिज विश्वविद्यालय में राहुल गांधी के संबोधन को लेकर उनकी आलोचना की, राहुल गांधी ने अपने संबोधन में आरोप लगाया कि भारतीय लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे पर हमला किया गया है. कैंब्रिज जज बिजनेस स्कूल में एमबीए के छात्रों को '21वीं सदी में सुनना सीखना' विषय पर संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी दल 'निरंतर दबाव' में हैं क्योंकि भाजपा सरकार ने उन पर कई मुकदमे लगा दिए हैं. इसे लेकर सरमा ने सिलसिलेवार ट्वीट कर राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा. यह भी पढ़ें: विदेश मंत्री S Jaishankar ने क्रिकेट के भाषा में समझाया, कप्तान मोदी के नेतृत्व में कैसे काम करती है कैबिनेट

सरमा ने कहा, राहुल ने पुलवामा हमले को कार बम के रूप में वर्णित किया जिसमें 40 सैनिक मारे गए. उन्होंने हमारे जवानों का अपमान करने की हिम्मत कैसे की? बम नहीं था सर, आतंकी हमला था. कोई आश्चर्य नहीं कि उन्होंने पुलवामा हमले के पीछे पाकिस्तान का नाम लेने से इनकार कर दिया. क्या यह आतंकवादियों के साथ कांग्रेस की समझ का हिस्सा है?

एक अन्य ट्वीट में, असम के सीएम ने कहा, राहुल कहते हैं कि कश्मीर में आतंकवादियों ने उन्हें देखा, लेकिन उन्हें पता था कि वह उन्हें निशाना नहीं बनाएंगे. सुरक्षा एजेंसियों को इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई? क्या राहुल को बचाने के लिए कांग्रेस की इन आतंकवादियों के साथ कुछ समझ थी ?

सरमा ने कांग्रेस नेता के दावों का मुकाबला करने के लिए कुछ 'तथ्य' भी सामने रखे. राहुल का कहना है कि भारतीय लोकतंत्र खतरे में है क्योंकि वह खुलकर अपनी बात नहीं रख सकते। तथ्य: उन्होंने मोदी सरकार द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा के तहत अपनी यात्रा में 4,000 किलोमीटर की यात्रा बिना किसी घटना के की. क्या हमें उन्हें यह याद दिलाने की जरूरत है कि कांग्रेस के सत्ता में रहने के दौरान भाजपा नेताओं के नेतृत्व वाली यात्राओं को कैसे रोका जाता था.

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