म्यांमार में सेना का तख्तापलट, स्टेट काउंसलर सू ची नजरबंद, जाने भारत पर क्या होगा असर
पीएम मोदी और म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची (Photo Credits: PIB)

नई दिल्ली: भारत के पड़ोसी देश म्यांमार (Myanmar) में ने तख्तापलट करते हुए स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची (Aung San Suu Kyi) को नजरबंद कर दिया है. म्यांमार में सेना के टेलीविजन चैनल ने बताया कि सेना ने एक वर्ष के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है. यानी एक साल तक म्यांमार की कमान आर्मी कमांडर-इन-चीफ के हाथ में रहेगी. ऐसे में म्यांमार में आई राजनीतिक अस्थिरता का असर भारत पर भी पड़ना तय है. म्यांमार सेना छोड़ने वाले सैनिकों ने अत्याचारों की पुष्टि की: मानवाधिकार समूह

ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘म्यामां नाउ’ के मुताबिक सू ची और उनकी पार्टी के अध्यक्ष को सोमवार तड़के गिरफ्तार कर लिया गया है. हालांकि समाचार पोर्टल पर विस्तृत जानकारी नहीं दी गयी है. खबरों के अनुसार नेपीता में संचार के सभी माध्यम काट दिये गये हैं और सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी से संपर्क नहीं हो पा रहा है.

पिछले हफ्ते म्यामां में तब तनाव के हालात बन गए थे जब सेना के प्रवक्ता ने कहा था कि नवंबर में हुए चुनाव में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की उसकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया तो तख्तापलट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने बुधवार को वरिष्ठ अधिकारियों से कहा था कि यदि कानूनों को उचित तरीके से लागू नहीं किया जाएगा तो संविधान को रद्द किया जा सकता है। इसे लेकर आशंका तब और भी बढ़ गई जब कई बड़े शहरों में सड़कों पर बख्तरबंद वाहनों को तैनात किया गया.

भारत ने जताई चिंता-

पिछले वर्ष आठ नवंबर को हुए चुनाव में सत्तारूढ़ ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ पार्टी को 476 सीटों में से 396 सीटें मिली थीं. वहीं, सेना समर्थित ‘यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट’ पार्टी को महज 33 सीटें मिली थीं.

तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने म्यामां के आम चुनाव में ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ पार्टी को मिली जीत पर आंग सान सू ची को बधाई भी दी थी और कहा था कि वह दोनों देशों के बीच मित्रता के पारंपरिक संबंध को और मजबूत बनाने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने को लेकर आशान्वित हैं.

बाद में भारत और म्यांमार के बीच सातवीं संयुक्त व्यापार समिति की बैठक हुई थी. बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने व्यापार, निवेश, बैंकिंग, कनेक्टिविटी, क्षमता निर्माण और सीमा बुनियादी ढांचे के उन्नयन से लेकर विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों की समीक्षा की. इसकी सह-अध्यक्षता म्यांमार के वाणिज्य मंत्री थान म्यिंट और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने की थी.

दोनों मंत्रियों ने स्वीकार किया कि भारत और म्यांमार की तेल व गैस कंपनियों के बीच विशेष रूप से पेट्रोलियम उत्पादों तथा रिफाइनिंग के क्षेत्र में आपसी सहयोग की गुंजाइश मौजूद है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि द्विपक्षीय व्यापार का मौजूदा स्तर वास्तविक क्षमता को प्रतिबिंबित नहीं करता है. दोनों देशों ने क्षेत्रवार सहयोग और व्यापार को बढ़ावा देकर अपनी आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.’’ (एजेंसी इनपुट के साथ)