देश में हर वर्ष 7 दिसंबर को 'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' मनाया जाता है. कहा जाता है कि आजादी के बाद भारत सरकार को लगा कि शहीदों के परिवार के हितों एवं स्वाभिमान पर भी सम्मानपूर्वक ध्यान देने की जरूरत है. समिति के अनुसार यह दिन सैनिकों (पैदल सेना के जांबाज, नेवी व एयरफोर्स). के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने का दिन होगा. अंततः 23 अगस्त 1947 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की रक्षा समिति ने युद्ध दिग्गजों और उनके परिजनों के कल्याण के लिए 7 दिसंबर को 'झंडा दिवस' मनाने का फैसला लिया, तभी से 'झंडा दिवस' मनाया जा रहा है.
इस दिन भारतीय जनता से झंडे और उसके स्टीकर खरीदने की अपील की जाती है. यह गहरे लाल एवं नीले रंग के झंडे का स्ट्रीकर होता है. लोग इसे खरीदकर अपने सीने पर टांकते हैं और गर्वान्वित महसूस करते हैं. शुरुआत में इस दिवस को 'झंडा दिवस' के नाम से मनाया जाता था, लेकिन साल 1993 में इस दिन को 'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' का नाम दिया गया. इसके बाद से ही ये दिन भारतीय सेना के तीनों अंगों द्वारा अपने-अपने तरीके से मनाया जाने लगा.
'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' द्वारा प्राप्त धनराशि युद्ध के बाद हुई जनहानि, सैनिकों की विधवाओं, दिव्यांग सैनिकों एवं उनके परिवार के कल्याणकारी कार्यों पर खर्च की जाती है.
क्यों मनाते हैं 'सशस्त्र सेना झंडा दिवस?
वस्तुतः भारतीय सेना के तीन अंग हैं, वायुसेना, थल सेना और जल सेना. सेना के ये तीनों ही अंग हर प्रहर एक सजग प्रहरी की भांति देश की सीमाओं पर हमारी सुरक्षा कवच बनकर रहते हैं, इसके साथ-साथ वे देश की आंतरिक सुरक्षा एवं प्राकृतिक आपदा के समय भी नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाते हैं.
अपने इस अदम्य कर्तव्यों का पालन करते हुए हर वर्ष काफी सैनिक वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं, भारी संख्या में सैनिक विकलांग भी हो जाते हैं. इसके बाद वे बेरोजगार का जीवन जीने के लिए मजबूर होते हैं, इससे उनके परिवार का पालन-पोषण भी प्रभावित होता है. उनके बलिदान एवं योगदान के लिए पूरा राष्ट्र उनका कृतज्ञ है.
इस पुनीत पर्व पर सशस्त्र सेनाओं के आश्रितों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए झंडा दिवस कोष में उदारतापूर्वक योगदान कर उनके प्रति एकजुटता दर्शाने का हमारे पास यही बेहतर अवसर होता है, कि हम उनके लिए कुछ करें. हमारे सहयोग से इकट्ठा हुई धनराशि शहीद सैनिकों की विधवाओं, उनके बच्चों, दिव्यांग सैनिकों एवं भूतपूर्व सैनिकों के कल्याणकारी कार्यों पर खर्च किये जाते हैं. इससे सैनिक भी आश्वस्त होते हैं कि सारा देश उनके और उनके परिवार के लिये प्रतिबद्ध है.
धन संग्रह का उद्देश्य!
'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' पर धन संग्रह के तीन मुख्य उद्देश्य होते हैं. पहला युद्ध के दरम्यान जो जनहानि होती है, उनके मदद कार्यों पर खर्च किया जाता है. दूसरा सेना में कार्यरत सैन्य कर्मियों एवं उनके परिवार के कल्याण हेतु खर्च होता है, और तीसरा सेवानिवृत्त कर्मियों और उनके परिवार के हित वाले कार्यों के लिए किया जाता है.
इस दिन इंडियन आर्मी, इंडियन एयर फोर्स और इंडियन नेवी तरह-तरह के रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन करती है और इन कार्यक्रम से एकत्र हुआ धन भी 'आर्म्ड फोर्सेस फ्लैग डे फंड' में जमा कर दिया जाता है. ऐसे कार्यक्रमों में आम नागरिकों की भी उपस्थित रहती है. इस वजह से अच्छा-खासा धन-संग्रह हो जाता है.
शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि
'सशस्त्र सेना झंडा दिवस' जांबाज सैनिकों व उनके परिजनों के प्रति नागरिक एकजुटता प्रदर्शित करने का प्रतीकात्मक दिवस है, इसलिए इस दिन हर नागरिक का दायित्व है कि वे सैनिकों के सम्मान व उनके परिवार के कल्याण में बढ़-चढ कर हिस्सा लें. उन सैनिकों के प्रति जो देश के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए शहीद हो गए. जिन्होंने सेना में रहकर न केवल सीमाओं को सुरक्षित रखा, बल्कि देश के भीतर और बाहर पल रहे आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए भी शहादत दे दी.
भारत की जनता से संग्रहित राशि का उपयोग शहीदों के परिजनों के कल्याण व पुनर्वास में खर्च की जाती है. यह राशि सैनिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से खर्च की जाती है, इसलिए हर देशवासियों को इस पुण्य एवं सद्भावना कार्यों के लिए आगे आकर झंडा दिवस कोश में सहयोग देना चाहिए. हमारा यही प्रयास शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजली होगी. इसलिए इस पुनीत कार्य में हर भारतीय को बढ़-चढ़ कर सहयोग करना चाहिए. तभी हमारे देश का तिरंगा आसमान की ऊंचाइयों पर लहराएगा.