भूवैज्ञानिकों ने कहा भूकंप के प्रति संवेदनशील है राजधानी दिल्ली
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में बुधवार तड़के भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.3 आंकी गई. इसी जगह पर ठीक बारह दिन पहले भी भूकंप आया था. तब तीव्रता 4.5 थी। बारह दिन पहले एक और भूकंप आया, जिसका केंद्र हरियाणा में था और तीव्रता 4.1 थी.
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में बुधवार तड़के भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.3 आंकी गई. इसी जगह पर ठीक बारह दिन पहले भी भूकंप आया था. तब तीव्रता 4.5 थी। बारह दिन पहले एक और भूकंप आया, जिसका केंद्र हरियाणा में था और तीव्रता 4.1 थी. बात अगर दिल्ली की करें तो पिछले 45 दिनों में दिल्ली एनसीआर में 14 बार भूकंप के झटके महसूस किए, जिनके एपीसेंटर अलग-अलग जगहों पर थे. बीते कुछ दिनों से देश में बार-बार भूकंप के झटके क्यों महसूस किए जा रहे हैं, और क्या यह आने वाले बड़े भूकंप की चेतावनी है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के ज़हन में घूम रहे हैं, लेकिन अगर भूगर्भ वैज्ञानिकों की मानें तो पृथ्वी के अंदर निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं, और ये झटके उसी का महज़ एक भाग हैं. लेकिन हां इनके पीछे के कारण आम लोगों को जरूर जानने चाहिए.
इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज़ इन जियोलॉजी, लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ. ध्रुव सेन सिंह ने भूकंप के झटकों के तीन बड़े कारण बताये. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली भूकंप के प्रति संवेदनशील क्यों है.
भारत में भूकंप के बड़े कारण:
डॉ. ध्रुवसेन ने प्रसार भारती न्यूज़ सर्विसेस से बातचीत में बताया कि चूंकि हिमालय निरंतर उत्तर दिशा की ओर खिसक रहा है, इसलिए उसके नीचे की टेक्टॉनिक, यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है. यही कारण है कि अगर एक दो भूकंपों को छोड़ दें तो ज्यादातर भूकंप के झटके हिमालय क्षेत्र में होते हैं. हिंदुकुश में सबसे ज्यादा झटके महसूस किए जाते रहे हैं. चूंकि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियणा, पंजाब, आदि राज्य हिमालय पर्वत के करीब हैं, इसलिए वहां झटके महसूस किए जाते हैं. उन्होंने आगे कहा, "वैसे बार-बार भूकंप आना अच्छा नहीं है, लेकिन यह कहना कि यह बड़े भूकंप के संकेत हैं, जल्दबाजी होगा. क्योंकि भूकंप की भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता है. फिलहाल ऐसी कोई तकनीक नहीं है, जिससे भूकंप की भविष्यवाणी की जा सके."
दिल्ली व आस-पास के क्षेत्र में भूकंप:
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार, सोमवार दोपहर दिल्ली में 2.1 तीव्रता का भूकंप आया. उपरिकेंद्र हरियाणा के गुरुग्राम से 13 किमी दूर था और 18 किमी की गहराई थी, . महत्वपूर्ण रूप से, यह पिछले 10 दिनों में गुरुग्राम-रोहतक के आसपास का छठा भूकंप है और इस साल अप्रैल से दिल्ली के पड़ोस में आने वाला 16 वां भूकंप है. हालांकि, उनमें से अधिकांश बहुत हल्के थे और केवल सीस्मोग्राफ द्वारा दर्ज किए गए थे.
क्या डेंजर ज़ोन में है दिल्ली?
भूकंप की दृष्टि से दिल्ली कितना सेफ है, इस पर डॉ. ध्रुव सेन ने कहा, "आप कोरोना महामारी का उदाहरण ले लीजिए. महामारी फैली तो सारा व्यापार ठप हो गया, सबसे ज्यादा चोट किसे पहुंची? छोटे व्यापारियों को, जबकि बड़े बिजनेसमैन व बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान अपना काम करते रहे उन्हें खास नुकसान नहीं हुआ. इसी प्रकार चूंकि हिमालय पर्वत उत्तर की ओर खिसक रहा है, तो हो सकता है आने वाले समय में जो भूकंप आयें, उनका केंद्र हिमालय के क्षेत्र में हो, लेकिन उस दशा में हिमालय को ज्यादा नुकसान नहीं होगा, नुकसान होगा दिल्ली, पंजाब, हरियणा, आदि राज्यों को."
आईएसएम धनबाद के भूभौतिकी विभाग के प्रोफेसर पीके खानका का कहना है की "छोटे परिमाणों के आवर्तक झटके बड़े भूकंप का संकेत देते हैं." उन्होंने कहा कि केंद और दिल्ली सरकार को निवारक उपाय करने और जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है. अन्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि क्षेत्र - 'पृथ्वी पर सबसे सक्रिय फॉल्ट लाइन' के करीब स्थित है - व्यापक रूप से प्रत्याशित हिमालयी भूकंप की स्थिति में जोखिम में होगा.
ज़ोन V में है दिल्ली:
भारत के मैक्रो भूकंपीय ज़ोनिंग मैप के अनुसार, दिल्ली का लगभग 30% ज़ोन V (बहुत उच्च जोखिम) के अंतर्गत आता है, जबकि शेष ज़ोन IV (उच्च जोखिम) के अंतर्गत आता है. हालांकि, 1993 में लातूर में आए भूकंप के समय, महाराष्ट्रीयन शहर देश के भूकंपीय आंचलिक नक्शे के जोन I (कम से कम जोखिम) के तहत गिर गया. 6.2 की तीव्रता के साथ, भूकंप ने हजारों लोगों को छोड़ दिया था.
वैज्ञानिक धरती के नीचे होने वाली हलचल को तीन हिस्सों में बांटते हैं. भूकंप से पहले के झटके, मुख्य भूकंप और तीसरा भूकंप के बाद के झटके. हलचल का यह तीसरा चरण भूकंप के कुछ दिन बाद महसूस किया जा सकता है. लेकिन कई मामलों में बहुत महीने गुजर जाने के बाद ये झटके महसूस होते हैं. भारत मौसम विभाग में भूगर्भ विज्ञान एवं भूकंप जोखिम मूल्यांकन केंद्र के प्रमुख ए के शुक्ला के मुताबिक, दिल्ली में भूकंप का एक तगड़ा झटका 1720 में आया था, जिसकी तीव्रता 6.5 मापी गई थी. क्षेत्र में अंतिम बार सबसे बड़ा भूकंप 1956 में बुलंदशहर के पास आया था जिसकी तीव्रता 6.7 मापी गई थी. शुक्ला ने कहा कि हालिया भूकंप कोई असामान्य परिघटना नहीं है क्योंकि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन की तरह ही कई फॉल्ट लाइन हैं. मथुरा, मुरादाबाद और सोहना में फॉल्ट हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने किया सवाल:
आपको बता दें कि मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि अगर कोई भूकंप आता है, तो उससे निबटने के लिए क्या तैयारियां हैं. हाईकोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 15 जून को करेगा, जिसके पहले दिल्ली सरकार व एमसीडी को अपनी तैयारियों का ब्योरा कोर्ट को देना होगा. जस्टिस विपिन संघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने सरकार से यह भी कहा है कि वो जनता को भूकंप से बचने के तरीकों से जागरूक करे.