राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रपट के विश्लेषण ने किया खुलासा, कहा- E-FIR के कारण अपराधों में अव्वल दिल्ली

देश के बाकी तमाम महानगरों की तुलना में वर्ष 2017 में देश की राजधानी दिल्ली में अपराधों में इजाफा हुआ है, और इस इजाफे की वजह यहां ई-एफआईआर (E-FIR) प्रणाली है. इस तथ्य को राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रपट के विश्लेषण से आईएएनएस ने लगभग महीने भर पहले उजागर किया था. अब सरकार ने भी मंगलवार को संसद में यही बात कही है.

राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (Photo Credits : IANS)

देश के बाकी तमाम महानगरों की तुलना में वर्ष 2017 में देश की राजधानी दिल्ली में अपराधों में इजाफा हुआ है, और इस इजाफे की वजह यहां ई-एफआईआर (E-FIR) प्रणाली है. इस तथ्य को राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) की रपट के विश्लेषण से आईएएनएस ने लगभग महीने भर पहले उजागर किया था. अब सरकार ने भी मंगलवार को संसद में यही बात कही है. राष्ट्रीय राजधानी में अपराध वृद्धि का मुद्दा लोकसभा में मंगलवार को दम-दम (पश्चिम बंगाल) से तृणमूल कांग्रेस के सांसद प्रो. सौगाता रॉय ने उठाया, और जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने इसे स्वीकार किया.

उन्होंने कहा, "वर्ष 2017 के आपराधिक आंकड़ों के हिसाब से देश के बाकी मेट्रो शहरों की तुलना में दिल्ली में अपराधों में इजाफा हुआ है." इसके बाद रेड्डी ने इसके पीछे की वजह बताई. गृह राज्यमंत्री ने कहा, "बाकी महानगरों से हटकर दिल्ली पुलिस ने जनहित में मोबाइल-एप के जरिए घर बैठे चोरी और वाहन चोरी के मामलों की ई-एफआईआर दर्ज करने की सुविधा दी है. ऐसे में देश की राजधानी में कुल एफआईआर की संख्या (ग्राफ) एकदम ऊपर पहुंचना लाजिमी है." बिल्कुल यही वजह आईएएनएस ने भी करीब महीने पहले प्रकाशित अपनी रपट में बताई थी.

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दअसल, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा वर्ष 2017 (क्राइम इन इंडिया-2017) के तुलनात्मक/विश्लेषणात्मक के आंकड़ों के गुणा-गणित में जो और जिस तरह से कथित गणना पेश की गई, वह शुरू से ही सवालों के घेरे में थी. हालांकि, एनसीआरबी की इस रिपोर्ट में की गई आपराधिक मामलों की गणना में मौजूद कमियों पर दिल्ली पुलिस ने खुलकर अभी तक कुछ नहीं बोला है, मगर जब दिल्ली पुलिस को उचित मौका हाथ आया, तो उसने उसे गंवाया भी नहीं.

दिल्ली पुलिस और एनसीआरबी दोनों ही केंद्रीय गृह-मंत्रालय के अधीन आते हैं. ऐसे में दिल्ली पुलिस ने इस मुद्दे पर मुंह बंद रखना ही बेहतर समझा. वरना एक ही मंत्रालय की दो-दो एजेंसियों में फजीहत होते देर नहीं लगती. लेकिन जैसे ही संसद में प्रो. सौगाता रॉय ने मुद्दा उठाया, केंद्रीय गृह-मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस की बात देश में सबसे बड़े और सटीक प्लेटफार्म (लोकसभा-संसद) पर तरीके से पेश कर दी.

एनसीआरबी ने देश के जिन महानगरों के आपराधिक आंकड़ों के आधार पर दिल्ली को अपराध के नजरिए से पहले पायदान पर रखा था, उन आंकड़ों की तुलनात्मक गणना करने का एनसीआरबी का फार्मूला बेहद जटिल था. एनसीआरबी ने दिल्ली पुलिस द्वारा वर्ष 2017 में दर्ज कुल एफआईआर के आधार पर (जोकि देश के बाकी महानगरों की तुलना में सबसे ज्यादा थी) दिल्ली को अपराध में पहले पायदान पर खड़ा कर दिया था.

आईएएनएस ने जब इस तथ्य को उजागर किया था कि दिल्ली में अपराध वृद्धि की वजह 'ई-एफआईआर' प्रणाली है, तब दिल्ली पुलिस के उपायुक्त (DCP Crime Branch) आईपीएस राजन भगत ने भी आईएएनएस से कहा था, "दरअसल हम एनसीआरबी पर कोई सवाल नहीं खड़ा कर रहे हैं. हां, इतना जरूर है कि दिल्ली में मोबाइल-एप के जरिए फ्री ई-एफआईआर (ऑनलाइन एफआईआर सुविधा) रजिस्ट्रेशन (चोरी और वाहन चोरी की घटनाओं में) के चलते कुल एफआईआर की संख्या बढ़ना लाजिमी है. अगर चोरी और वाहन चोरी के मामलों से संबंधित ई-एफआईआर की संख्या घटा दी जाए, तो कुल महानगरों के आपराधिक आंकड़ों की तुलनात्मक गणना में दिल्ली कई पायदान नीचे आ जाती है."

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