True Love Can't Be Controlled by Law: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि दो लोगों के बीच सच्चे प्यार को कानून से कंट्रोल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि चाहे वे नाबालिग हों या बालिग होने की कगार पर हो कानूनी कार्रवाई से उनके सच्चे प्रेम को दबाया नहीं जा सकता.
न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने आगे कहा कि जहां जोड़े वयस्क होते हैं और शादी करते हैं, वहां उनके माता-पिता द्वारा पति-लड़के के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराना उनके वैवाहिक संबंध को जहर देने जैसा है.
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अदालत को कभी-कभी किशोर जोड़े के खिलाफ राज्य/पुलिस कार्रवाई को सही ठहराने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जो शादी करते हैं, शांतिपूर्ण जीवन जीते हैं और परिवार का पालन-पोषण करते हैं, जबकि कानून के सम्मान को भी बनाए रखते हैं. ये भी पढ़ें- Court On Husband-Wife and Other Woman: पत्नी से लंबे समय तक अलग रहने के बाद पति का दूसरी महिला के साथ रहना क्रूरता नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी
True Love Between Adolescents Can't Be Controlled Through Rigours Of Law Or State Action: Allahabad High Court | @ISparshUpadhyay #AllahabadHighCourt https://t.co/x8USGNR3R1
— Live Law (@LiveLawIndia) February 16, 2024
न्यायमूर्ति चतुर्वेदी ने यह टिप्पणी तब की जब उन्होंने 3 लड़कों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया, जिनके खिलाफ अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थी. आरोप था कि लड़के ने बेटी को बहला-फुसलाकर शादी कर ली.
पतियों-लड़कों द्वारा दायर रद्दीकरण याचिकाओं पर विचार करते हुए, अदालत ने कहा कि उसके सामने आए सभी मामलों में लड़के और लड़कियां पहले से सहमत थे और उनके बीच प्रेम संबंध था. अदालत ने यह भी कहा कि प्रत्येक मामले में लड़कियों ने अपने घरों को स्वेच्छा से छोड़ दिया और वयस्क होने या वयस्क होने के करीब होने के नाते, उन्होंने अपने जीवन साथी चुनने और शादी करने का अपना अधिकार इस्तेमाल किया.
कोर्ट ने कहा कि लड़के को आपराधिक मामले का सामना करने के लिए कहना कपल को परेशान करने के अलावा कुछ नहीं है और जल्द से जल्द इस केस को रद्द कर दिया जाना चाहिए... पक्षकार काफी समय से अपने वैवाहिक जीवन में हैं और वे एक या अधिक बच्चों के माता-पिता हैं.