गोद लिए बच्चे को मिलेगा दत्तक मां की जाति का प्रमाण पत्र, बॉम्बे हाईकोर्ट ने जारी किया निर्देश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि एक गोद लिया हुआ बच्चा अपने दत्तक माता-पिता की जाति की पहचान का हकदार है. इसी आधार पर बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश के तहत गोद लिए हुए बच्चे को गोद लेने वाली मां की जाति से जुड़ा प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया है.

बंबई उच्च न्यायालय (Photo: Wikimedia Commons)

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने आदेश में कहा है कि एक गोद लिया हुआ बच्चा अपने दत्तक माता-पिता की जाति की पहचान का हकदार है. इसी आधार पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश के तहत गोद लिए हुए बच्चे को गोद लेने वाली मां की जाति से जुड़ा प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया है. जस्टिस सुनील शुक्रे और जस्टिस जी ए सनप की बेंच ने कहा, “गोद लेने पर, बच्चा हर तरह से दत्तक माता-पिता के परिवार का सदस्य बन जाता है.” बॉम्बे हाईकोर्ट ने 9 बच्चों की हत्या की दोषी बहनों की मौत की सजा को कम किया.

कोर्ट ने हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम की धारा 12 का हवाला देते हुए कहा की एक बच्चे और उसके जन्म के परिवार के बीच सभी संबंध गोद लेने की तारीख से अलग हो जाते हैं. सभी उद्देश्यों और उद्देश्यों के लिए गोद लिया हुआ बच्चा दत्तक माता-पिता की संतान बन जाता है.

याचिका में अविवाहित महिला ने दावा किया था कि साल 2009 में मुंबई सिटी सीविल कोर्ट ने बच्चे के गोद लेने की प्रक्रिया को मंजूरी प्रदान की थी याचिका के मुताबित डाक्टर महिला हिंदु अनुसूचित जाति (एससी) की है. गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद महिला ने साल 2016 में उपजिलाधिकारी के पास अपने बेटे के जाति प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया था.

आवेदन में महिला ने आग्रह किया था कि उसके बेटे को एससी जाति का प्रमाणपत्र जारी किया जाए. लेकिन उपजिलाधिकारी ने महिला के आवेदन को अस्वीकार कर दिया और बेटे के लिए एससी जाति का प्रमाणपत्र जारी करने से मना कर दिया.

इसके बाद जिला जाति पड़ताल कमेटी ने भी महिला की ओर से उपजिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया. कमेटी के मुताबिक गोद लिए बच्चे की जाति को लेकर जाति प्रमाणपत्र जारी करने के लिए कानून में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है. इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

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