हाल ही में, विश्व धरोहर समिति ने असम, भारत के अहोम वंश के मोइडाम्स - माउंड-बेरियल सिस्टम को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है. यह भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल है, जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को विश्व मंच पर एक नई पहचान दिलाता है.
मोइडाम्स का ऐतिहासिक महत्व
मोइडाम्स असम के चराइदेव क्षेत्र में स्थित हैं और इन्हें अहोम वंश के शाही कब्रिस्तान के रूप में जाना जाता है. अहोम वंश ने 13वीं से 19वीं शताब्दी तक असम पर शासन किया था. मोइडाम्स में प्रमुख शासकों, रानियों और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के पार्थिव शरीर को विशेष तरीके से दफनाया जाता था. यह प्रणाली अद्वितीय है क्योंकि इसमें टीले की तरह के कब्रों का निर्माण किया जाता था, जो उस समय की स्थापत्य कला और धार्मिक विश्वासों का प्रतीक हैं.
मोइडाम्स की संरचना और निर्माण
मोइडाम्स की संरचना विशेष रूप से आकर्षक है. यह एक बड़ी मिट्टी की टीली होती है जिसके अंदर एक भूमिगत कक्ष होता है. इस कक्ष में शाही व्यक्तियों के अवशेष और उनके साथ उनकी दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी रखी जाती थीं. यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती थी कि मरने के बाद भी उन्हें एक सम्मानित जीवन मिले.
World Heritage Committee announces inclusion of Moidams- the Mound-Burial System of the Ahom Dynasty Assam, India as the 43rd World Heritage Site from India pic.twitter.com/nc0k9dTxI8
— Sidhant Sibal (@sidhant) July 26, 2024
विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता का महत्व
विश्व धरोहर समिति द्वारा मोइडाम्स को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता देने से इसके संरक्षण और प्राचीन धरोहर के संरक्षण के प्रयासों को बल मिलेगा. यह न केवल भारत के सांस्कृतिक धरोहर के महत्व को उजागर करता है, बल्कि विश्व भर के पर्यटकों को भी असम की इस अनमोल धरोहर को देखने का अवसर प्रदान करेगा. इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा और असम की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी.
संरक्षण के प्रयास और चुनौतियां
मोइडाम्स को संरक्षित करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक वर्षा और मानव जनित गतिविधियों से इन स्थलों को नुकसान पहुंच सकता है. इसके संरक्षण के लिए सरकार और स्थानीय संगठनों को मिलकर काम करना होगा ताकि इस धरोहर को सुरक्षित रखा जा सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके.
मोइडाम्स का विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल होना असम और भारत के लिए गर्व का विषय है. यह न केवल हमारे समृद्ध इतिहास और संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दिलाता है, बल्कि हमें इस धरोहर के संरक्षण और संवर्धन के प्रति और अधिक जिम्मेदारी भी सौंपता है.