आज जम्मू कश्मीर में हुए पुलवामा हमले (Pulwama Attack) को 3 साल पूरे हो गए हैं. आज के ही दिन 2019 में आतंकियों ने पुलवामा में सैनिकों के काफिले पर आतंकी हमला किया था. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे. सड़क पर उस दिन भी सामान्य आवाजाही थी. सीआरपीएफ का काफिला पुलवामा पहुंचा ही था, तभी सड़क की दूसरे तरफ से आ रही एक कार ने सीआरपीएफ के काफिले के साथ चल रहे वाहन में टक्कर मार दी. जैसे ही सामने से आ रही एसयूवी जवानों के काफिले से टकराई, वैसे ही उसमें विस्फोट हो गया.
इस घातक हमले ने देश को दहला दिया था. कश्मीर में जवानों पर हुए इस बड़े हमले से हर किसी का दिल भर गया. उस दिन जिस तरह की तस्वीरें सामने आई उसका मंजर भुलाया नहीं जा सकता है. चारों तरफ खून ही खून और जवानों के शरीर. अन्य जवान अपने साथियों की तलाश में जुटे थे. सेना ने बचाव कार्य शुरू किया और घायल जांबाजों को तुरंत ही अस्पताल ले जाया गया. घटना के बाद पूरे देश में हाहाकार मच गया.
यह हमला देश के लिए बहुत बड़ा झटका था. देश ने अपने 40 वीर जवानों को एक पल में ही खो दिया. इस काण्ड की जिम्मेदारी पाकिस्तान में रह रहे आतंकी संगठन के अगुवा जैश ए मोहम्मद ने ली.
भूलेंगे नहीं वो दिन
14 फरवरी को उस दिन 78 वाहनों का काफिला 2500 सैनिकों को लेकर जम्मू से श्रीनगर जा रहा था. वाहनों का ये काफिला अवंतीपोरा के पास लेथीपोरा में नेशनल हाइवे 44 से गुजर रहा था. लगभग साढ़े तीन से पौने चार बजे का वक्त था. अचानक साढ़े तीन सौ किलो विस्फोट से भरी एक एसयूवी कार वाहनों के काफिले की ओर बढ़ती है. और भयंकर धमाकों एवं धूओं से पूरा वातावरण दहल जाता है. जिस बस से एसयूवी टकराई थी, उसके परखच्चे उड़ जाते हैं.
एसयूवी कार काफिले के 76वें बटालियन की बस से टकराई थी. उस बस के भी परखच्चे दूर-दूर तक उड़कर बिखर गये जवान होश संभालते 40 जवान शहीद हो चुके थे. जवानों के क्षत-विक्षत शव और खून से पूरा सड़क पट चुका था. शहीद हुए जवानों की संख्या भी कम नहीं थी.
20 वर्षीय किशोर था 40 सैनिकों का कातिल
हैरानी की बात यह थी कि सीआरपीएफ के जवानों पर हमला करने वाला युवक आदिल अहमद डार मात्र 20 वर्ष का किशोर था. आदिल अहमद डार कश्मीर स्थित पुलवामा जिले के गांव काकापोरा का रहनेवाला था और एक साल पहले ही जैश में शामिल हुआ था. उसके माता-पिता के अनुसार आदिल 12वीं की परीक्षा की तैयारी कर रहा था, कि परीक्षा से कुछ ही दिन पूर्व अचानक वह गायब हो गया.
इस आत्मघाती हमले में आदिल अहमद डार की मृत्यु हो चुकी थी. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन के मुखिया जैश ए मोहम्मद ने ली और इस संदर्भ में आदिल डार का एक वीडियो भी जारी किया था.
हमले के पीछे था पाकिस्तान का हाथ
हमले के दिन पाकिस्तान ने दावा किया था कि पुलवामा हमले में उसका कोई हाथ नहीं है. लेकिन जैश ए मुहम्मद द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद तय हो गया कि एक बार फिर पाकिस्तान की सरजमीं से भारत पर आतंकी हमला हुआ था. भारत ने उसे सख्त चेतावनी दी थी कि वह अपने आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई करे. दुनिया भर के देशों ने इस हमले की निंदा की थी.
भारत में इस हमले को लेकर आक्रोश था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षाबलों का हौसला बढ़ाते हुए कहा था कि आतंकियों ने गंभीर गलती की है. हमारे जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी. भारत सरकार ने सुरक्षाबलों को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की खुली छूट दे दी गई है. सर्जिकल स्ट्राइक उसी छूट का नतीजा था.
जवानों को श्रद्धांजलि
पुलवामा हमले में कितनी ही मां ने अपने बेटों को खोया, कितने ही पिताओं ने अपने जिगर के टुकड़े को खो दिया, कितनी ही पत्नियों का सुहाग उनसे छिन गया, कितने ही बच्चों के सर से पिता का साया उठ गया. किसी ने अपने दोस्त खोया तो किसी ने अपना हमसफर. भारत का सीना अपने 40 जावानों की शहादत से कराह उठा...
इस हमले की तीसरी बरसी पर हम अपने वीर जवानों को श्रद्धांजलि देते हैं. देश की रक्षा में सदैव सबसे आगे रहने वाले इन जवानों को हमारा शत-शत नमन!