कारगिल युद्ध के जांबाजों की याद में आज द्रास में यह कार्यक्रम हुआ. हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कारगिल के द्रास पहुंचे. यहां उन्होंने कारगिल वॉक मेमोरियल जाकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी और उसके बाद सेना के साथ सलामी भी दी. द्रास केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल जिले में बसा कस्बा है. इसे लद्दाख का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है.
श्रद्धांजलि देने के बाद पीएम मोदी ने कहा, "पाकिस्तान अतीत में अपने सभी नापाक प्रयासों में विफल रहा है, लेकिन पाकिस्तान ने अपने इतिहास से कुछ भी नहीं सीखा है. वह आतंकवाद और छद्म युद्ध की मदद से खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश कर रहा है. आज मैं ऐसी जगह से बोल रहा हूं जहां आतंक के आका मेरी आवाज सीधे सुन सकते हैं, मैं आतंकवाद के इन संरक्षकों को बताना चाहता हूं कि उनके नापाक इरादे कभी सफल नहीं होंगे. हमारे जवान पूरी ताकत से आतंकवाद को कुचलेंगे और दुश्मन को करारा जवाब दिया जाएगा.
#WATCH | Ladakh: PM Narendra Modi says, "Pakistan has failed in all its nefarious attempts in the past. But Pakistan has not learned anything from its history. It is trying to keep itself relevant with the help of terrorism and proxy war. Today I am speaking from a place where… pic.twitter.com/HQbzjcVKVq
— ANI (@ANI) July 26, 2024
इस बार कारगिल दिवस की रजत जयंती (25 साल) होने के कारण यह कार्यक्रम खास है. इसमें बड़ी संख्या में कारगिल युद्ध के दौरान अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बहादुर जवानों के परिजन, वीरता पुरस्कार विजेता और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
VIDEO | PM Modi (@narendramodi) lays wreath at Kargil War Memorial, Dras, Ladakh, as he pays homage to the bravehearts who made the supreme sacrifice in the line of duty, on the occasion of 25th Kargil Vijay Diwas.#KargilVijayDiwas2024 #KargilVijayDiwasRajatJayanti
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— Press Trust of India (@PTI_News) July 26, 2024
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज लद्दाख की ये महान भूमि कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ की गवाह बन रही है. कारगिल विजय दिवस हमें बताता है कि राष्ट्र के लिए दिए गए बलिदान अमर हैं..."
#WATCH | Ladakh: PM Narendra Modi says, "Today, this great land of Ladakh is witnessing the 25th anniversary of Kargil Vijay Diwas. Kargil Vijay Diwas tells us that the sacrifices made for the nation are immortal..." pic.twitter.com/0PddS6diyk
— ANI (@ANI) July 26, 2024
3 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक, कारगिल युद्ध ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐसी जंग लड़ी जिसने दुनिया को हैरान कर दिया था, लेकिन यह युद्ध कैसे शुरू हुआ? 1999 से पहले, भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता था - दोनों देशों के सैनिक अपनी-अपनी सीमाओं पर बर्फबारी वाले क्षेत्रों में नहीं जाएँगे. यह समझौता "लाइन ऑफ कंट्रोल" (LoC) के नाम से जाना जाता था, जो भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमा थी.
हालांकि, पाकिस्तान ने इस समझौते का उल्लंघन किया और अपने सैनिकों को चुपके से भारत की सीमा में घुसपैठ कराने का काम किया. ये सैनिक दुश्मन बनकर भारत के क्षेत्र में चढ़ गए, जिसमें ड्रास, टाइगर हिल और कारगिल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल थे. पाकिस्तान ने लगभग 134 किलोमीटर के क्षेत्र पर अपना कब्जा कर लिया था.
यह युद्ध बहुत ही कठिन और खतरनाक था. बर्फबारी, बर्फीले पहाड़, और दुश्मन का सामना भारतीय सैनिकों के लिए एक कठिन चुनौती थी. तीन महीनों तक चले इस युद्ध में, भारत ने 527 शहीदों को खोया, और 1363 सैनिक घायल हुए, लेकिन भारतीय सैनिकों ने दृढ़ता और बहादुरी का परिचय दिया. उन्होंने दुश्मन का सामना करने के लिए सब कुछ दिया और अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए लड़ते रहे. कारगिल युद्ध के माध्यम से, भारतीय सैनिकों ने दुनिया को साबित किया कि वे कितने बहादुर और देशभक्त हैं. आज हम कारगिल विजय दिवस के माध्यम से उन सैनिकों को याद करते हैं जिन्होंने अपनी जान देश के लिए कुर्बान की थी.