21st Anniversary of Attack on Parliament! 5 आतंकियों ने 45 मिनट तक संसद को दहशत में रखा! जानें कब, क्या और कैसे हुआ?
आजादी के बाद से ही कभी पाकिस्तानी सेना तो कभी पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकी भारत पर हमले करते रहे, और उसकी अस्मिता को चोट पहुंचाने की कोशिश करते रहें, उन्होंने कभी दिल्ली को तो कभी मुंबई को निशाना बनाया. यह अलग बात है कि भारतीय सेना के जांबाजों ने उनकी धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
21st Anniversary of Attack on Parliament: आजादी के बाद से ही कभी पाकिस्तानी सेना तो कभी पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकी भारत पर हमले करते रहे, और उसकी अस्मिता को चोट पहुंचाने की कोशिश करते रहें, उन्होंने कभी दिल्ली को तो कभी मुंबई को निशाना बनाया. यह अलग बात है कि भारतीय सेना के जांबाजों ने उनकी धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. ऐसा ही एक हमला पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकियों ने 13 दिसंबर 2001 को लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद भवन (दिल्ली) पर किया था. इस हमले में दिल्ली पुलिस समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे. संसद भवन पर हुए इस हमले के 21वें वर्ष पर बात करेंगे संसद भवन पर हमले की पल-दर-पल की गाथा.. यह भी पढ़े: 2001 Parliament Attack: संसद हमलें की 20वीं बरसी पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
दिनांक 13 दिसंबर 2001... दिन गुरुवार.. समय दिन के 11.28 बजे... स्थान संसद भवन परिसर....
संसद भवन के भीतर शीतकालीन सत्र में पक्ष-विपक्ष के बीच ताबूत घोटाले को लेकर काफी देर हंगामा चलता रहा. कुछ देर के लिए संसद के दोनों सदनों को स्थगित किया गया था. प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी अपने-अपने निवास के लिए जा चुके थे. गृहमंत्री एलके आडवाणी अपने मंत्रियों एवं करीब 200 सांसदों के साथ भवन में ही उपस्थित थे. परिसर में भारी संख्या में औपचारिक कवरेज के लिए मीडियाकर्मी उपस्थित थे. संसद भवन के विभिन्न गेटों से सांसदों आवाजाही जारी थी.
सफेद एंबेसडर कार का उप राष्ट्रपति की गाड़ी से टक्कर!
संसद भवन के मुख्य गेट के करीब उपराष्ट्रपति केके शर्मा की कार खड़ी थी, उनके सुरक्षाकर्मी उनके बाहर आने की प्रतीक्षा कर रहे थे, अचानक एक सफेद एंबेसडर जिस पर गृह मंत्रालय का स्टीकर लगा हुआ था, तेज रफ्तार से उप राष्ट्रपति की कार की ओर बढ़ती है, लोकसभा सुरक्षाकर्मी जगदीश यादव लगभग भागते हुए सफेद एंबेसडर को रोकने का इशारा करते हैं, उधर उपराष्ट्रपति के तीनों ASI सुरक्षाकर्मी जीतराम, नानकचंद और श्याम सिंह भी सफेद अंबेसडर की ओर भागते हैं. लेकिन तब तक सफेद एंबेसडर उप राष्ट्रपति की कार से जा टकराती है.
संसद भवन पर आतंकी हमला!
संसद परिसर में खड़े सुरक्षाकर्मी इससे पूर्व कि कुछ समझते सफेद एंबेसडर के चारों दरवाजों से पीठ पर बैग और हाथों में एके-47 से गोलियां बरसाते हुए बाहर निकलते हैं. इस गोलीबारी के शिकार पहले चारों सुरक्षाकर्मी (जगदीश यादव, जीतराम, नानकचंद एवं श्याम सिंह) होते हैं. अब तक संसद भवन के भीतर किसी को भनक तक नहीं लगी थी कि उन पर आतंकी हमला हो चुका है. उधर संसद भवन के बाहरी हिस्से में आतंकियों से बचने के लिए लोग इधर-उधर भाग रहे थे. सबसे ज्यादा अफरा तफरी गेट नं. 11 की तरफ मची हुई थी, जहां आक्रमणकारी मौजूद थे. आतंकी अब गोलियों के साथ-साथ ग्रेनेड से भी हमले करने लगे थे. दिल्ली पुलिस एवं सीआरपीएफ के जवानों की टीम गेट नं. 11 की ओर बढ़ते हैं. दोनों तरफ से गोलीबारी जारी रहती है. तभी एक आतंकी गेट नं.1 की तरफ और शेष 4 गेट नं. 12 की ओर बढ़ते हैं. इस बीच सुरक्षाकर्मियों से गृहमंत्री एलके आडवाणी एवं रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज तो इस हमले की जानकारी मिल चुकी थी. सुरक्षाकर्मी उन्हें सुरक्षित स्थानों की ओर लेकर चले गये. इसके पूर्व कि आतंकी संसद भवन के भीतर प्रवेश करते सुरक्षाकर्मी संसद के सारे गेट बंद कर पोजीशन ले चुके थे. गेट नं 1 की ओर बढ़ रहा आतंकी पुलिस की गोली का शिकार बन जाता है. इससे पहले कि सुरक्षाकर्मी उसे गिरफ्तार करते, वह खुद रिमोट से उड़ा देता है.
भारतीय जांबाजों का जवाबी हमला
इस दरम्यान एनएसजी कमांडो और सेना को आतंकी हमले की खबर दी जा चुकी थी. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम भी संसद भवन के लिए चल चुकी थी. उधर चारों आतंकी जिस तरह अंधाधुंध गोलियां बरसा रहे थे, उससे लगता था कि उनके पास हथियारों का भारी जखीरा था. इस समय तक न्यूज चैनलों के जरिए भारत के संसद पर हमले की लाइव खबर दुनिया भर में फैल चुकी थी. चारों आतंकियों को अपने एक साथी के मरने की खबर मिल चुकी थी. संसद भवन के सुरक्षाकर्मियों की चौकसी के कारण चारों आतंकी संसद भवन में प्रवेश करने में असमर्थ थे, लिहाजा वे सुरक्षित भागने की कोशिश में थे, लेकिन तभी गेट नं. 5 के पास एक और आतंकी पुलिस की गोली का शिकार बना. शेष तीन आतंकी गेट नं. 9 की ओर भागने लगे, लेकिन यहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें घेर गोलियों से छलनी कर दिया.
संसद पर ही हमला क्यों?
संसद भवन पर हमले की साजिश जैश-ए-मोहम्मद के 5 आतंकियों ने अंजाम दिया था. कहा जाता है कि हमले के लिए संसद को निशाने पर लेने की मुख्य वजह थी कि आतंकी बताना चाहते थे कि वह भारत में कहीं कुछ भी कर सकते हैं. संसद पर हमला करने आये इन आतंकियों का मकसद संसद के मुख्य भवन में प्रवेश कर वहां मौजूद सांसदों को निशाना बनाना था, लेकिन भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने 45 मिनट में पांचों आतंकियों को मौत के घाट उतारकर उनकी मकसद को पूरा नहीं होने दिया. अलबत्ता इस हमले में दिल्ली पुलिस के 5 जवान, सीआरपीएफ की 1 महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड शहीद हुए. इस हमले का साजिश रचने वाले मुख्य आरोपी अफजल गुरू को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिसने पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग ली थी