भारत में 19 लाख बच्चों ने कोविड के कारण माता-पिता या देखभाल करने वाले को खो दिया: लैंसेट
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

नई दिल्ली, 25 फरवरी : कोविड-19 महामारी की वजह से भारत में 19 लाख बच्चों ने अपने माता पिता अथवा देखभाल करने वाले किसी एक व्यक्ति को खो दिया है और इस तरह का यह आंकड़ा दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में सबसे अधिक है. द लैंसेट चाइल्ड एंड अडोलेसेंट हेल्थ जर्नल में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई है. लेकिन, मीडिया रिपोटरें का दावा है कि भारत सरकार इन आंकड़ों का खंडन करती हैं और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बाल स्वराज-कोविड देखभाल पोर्टल के अनुसार, यह संख्या 1.5 लाख है. अध्ययन से पता चला है कि वैश्विक स्तर पर यह संख्या बढ़कर 52 लाख से अधिक हो गई है. प्रति व्यक्ति अनुमानित अनाथ दर के मामले सबसे अधिक पेरू और दक्षिण अफ्रीका में हैं जहां यह दर 1,000 बच्चों में से आठ और सात दर्ज की गई है

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) में शोधकर्ता डॉ. सुसान हिलिस ने कहा हम अनुमान लगाते हैं कि कोविड -19 महामारी की वजह से जिस भी व्यक्ति की मौत हुई है ,उनके पीछे कम से कम एक बच्चा बेसहारा हो गया है. कोविड महामारी से पहले, दुनिया भर में अनुमानित 14 करोड़ अनाथ बच्चे थे और जुलाई 2021 में ऐसे बच्चों के लिए पहला अनुमानित आंकड़ा 15 लाख दर्ज किया गया था जो मार्च 2020 और अप्रैल 2021 के बीच अनाथ हुए थे. इंपीरियल कॉलेज लंदन (यूके) के प्रमुख लेखक डॉ जूलियट अनविन के अनुसार फिर भी ये वास्तविक संख्याएँ नहीं हो सकती हैं. वास्तविक अनुमान वर्तमान में बताई जा रही संख्या की तुलना में 10 गुना अधिक होने की संभावना है. यह भी पढ़ें : COVID-19: कर्नाटक में कोरोना के 558 मामले, 19 लोगों की मौत

वैश्विक अध्ययन से पता चलता है कि कोविड से अनाथ हुए तीन में से दो बच्चे 10 से 17 वर्ष की आयु के किशोर हैं. इसके अलावा दुनिया भर में चार में से तीन बच्चों ने अपने पिता को खो दिया है. कुल मिलाकर जिन बच्चों ने माता पिता या देखभाल करने वाले में से किसी एक को खोया है उन्हें गरीबी, शोषण और यौन हिंसा या दुर्व्यवहार, एचआईवी संक्रमण, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों और गंभीर संकट के खतरों का सामना करना पड़ता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि इस महामारी की चपेट में आकर जिन परिवारों के मुखिया की मौत हुई है उनके बच्चों की उचित देखभाल किए जाने के लिए अनेक प्रकार के कार्यक्रम चलाए जाने की जरूरत है.