वायनाड (केरल), 30 जुलाई: केरल के पर्वतीय वायनाड जिले में मंगलवार तड़के कई जगहों पर भारी बारिश के बाद हुईं भूस्खलन की घटनाओं में कम से कम 123 लोगों की मौत हो गयी है तथा 128 लोग घायल हुए हैं. सैकड़ों लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका के कारण मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस आपदा में अब तक 123 लोगों की मौत हो चुकी है. भूस्खलन की घटनाएं मंगलवार तड़के हुईं जिससे अपने घरों में सो रहे लोगों को बचने का मौका भी नहीं मिल पाया. भूस्खलन ने तबाही के निशान छोड़े हैं. कई मकान जमींदोज हो गए, नदियां उफान पर हैं और कई पेड़ उखड़ गए हैं.
सेना, नौसेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के बचाव दल खराब मौसम के बीच पीड़ितों की तलाश कर रहे हैं और पीड़ित लोगों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए कई एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं. Wayanad Landslides: केरल के वायनाड में क्यों आई तबाही? अरब सागर में बढ़ता तापमान बना भूस्खलन की वजह.
इससे पहले, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बताया था कि वायनाड में भूस्खलन के बाद अब तक 93 शव बरामद हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि 128 लोगों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि भूस्खलन में मरने वाले 34 व्यक्तियों के शवों की पहचान की जा चुकी है. मुख्यमंत्री ने बताया कि इनमें से 18 शव मृतकों के परिवारों को सौंप दिए गए हैं . मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के पोथुकल में चलियार नदी से 16 शव मिले हैं, इसके अलावा शवों के टुकड़े भी बरामद किये गये हैं . उन्होंने कहा कि कई लोगों फंसे होने या बह जाने की आशंका है और हम बचाव कार्य जारी रखेंगे.
विजयन ने बताया कि जिले में स्थापित 45 राहत शिविरों में 3,000 से अधिक लोगों को स्थानांतरित किया गया है. उन्होंने बताया कि पहला भूस्खलन तड़के दो बजे हुआ, उसके बाद दूसरा भूस्खलन सुबह चार बजकर दस मिनट पर हुआ.
मुख्यमंत्री ने बताया कि मेप्पाडी, मुंदक्कई और चूरलमाला क्षेत्रों से संपर्क टूट गया है तथा चूरलमाला-मुंदक्कई सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है. लोकसभा में विपक्ष के नेता और वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने संसद में इससे पहले दिन में कहा था कि भूस्खलन की घटनाओं में 70 से अधिक लोगों की मौत हुई है.
एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र के अनुसार, जिले के मेप्पडी के पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश के बाद कई भूस्खलन हुए हैं जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका पैदा हो गयी है. सूत्र ने बताया कि बचावकर्मियों को नदियों और कीचड़ से लोगों के अंग बरामद हो रहे हैं, इसलिए इस त्रासदी में मारे गए लोगों की सही संख्या का पता लगाना मुश्किल है.
सूत्र ने बताया कि यह स्पष्ट नहीं है कि जो अंग मिल रहे हैं, वे एक ही व्यक्ति के हैं या कई व्यक्तियों के हैं. उसने बताया कि मृतकों में कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं और उनकी पहचान तथा पोस्टमार्टम के लिये के लिये शवों को विभिन्न अस्पतालों के मुर्दाघरों में ले जाया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि भूस्खलन प्रभावित इलाकों में मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टमाला और नूलपुझा गांव शामिल हैं.
केरल सरकार ने भूस्खलन में लोगों की मौत के बाद प्रदेश में दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि राज्य सरकार इस घटना से बहुत दुखी है जिसमें कई लोगों की जान चली गयी है और संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है.
मुख्य सचिव वी. वेनू द्वारा जारी एक आधिकारिक अधिसूचना में 30 और 31 जुलाई को राजकीय शोक घोषित किया गया है. प्रोटोकॉल के अनुसार, इन दो दिनों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और सभी सरकारी कार्यक्रमों को रद्द किया जाएगा.
बचाव दल मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. भारतीय सेना भी बचाव अभियान में शामिल हो गयी है. राज्य सरकार ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के अलावा पुलिस तथा दमकल कर्मियों को प्रभावित इलाकों में तैनात किया है.
लोग फोन पर मदद की गुहार लगा रहे हैं और बचावकर्मी मलबे से लोगों को निकालने की कोशिशों में जुटे हैं. टेलीविजन चैनलों ने कई लोगों की फोन पर बातचीत प्रसारित की जिसमें वे रो रहे थे और किसी से आकर उन्हें बचाने का अनुरोध कर रहे थे, क्योंकि वे या तो अपने घरों में फंस गए या पुलों के बह जाने तथा सड़कों के जलमग्न होने के कारण उनके पास वहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा है.
भूस्खलन में घायल हुए कई लोगों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. मेप्पडी जिले में एक छोटे व भीड़भाड़ वाले स्वास्थ्य केंद्र में फर्श पर पंक्ति में रखे गए शवों में रोते-बिलखते लोगों को अपने प्रियजनों को खोजते हुए देखा गया. कुछ लोग अपने प्रियजनों के शवों को देखकर फूट-फूटकर रोने लगे जबकि कुछ लोगों ने अपने रिश्तेदारों को मृतकों में न पाकर राहत की सांस ली.
भूस्खलन से प्रभावित एक गांव के भयावह दृश्यों में से एक में, कीचड़ से लथपथ एक व्यक्ति को अपनी जान बचाने के लिए बाढ़ के पानी के तेज बहाव में एक विशाल चट्टान से चिपककर खड़े होने की कड़ी मशक्कत करते हुए देखा गया. असहाय स्थानीय निवासियों ने प्राधिकारियों से उसे तुरंत बचाने का अनुरोध किया.
इस बीच, केरल सरकार ने बचाव अभियान में रक्षा बलों की मदद मांगी है. 122 इन्फैंट्री बटालियन (टीए) मद्रास की सेकेंड-इन-कमांड के नेतृत्व में 43 कर्मियों की एक टीम को बचाव प्रयासों में सहायता के लिए तैनात किया गया है.
रक्षा सुरक्षा कोर (डीएससी) केंद्र, कन्नूर और कोझिकोड से प्रादेशिक सेना के 200 सैनिकों की अतिरिक्त टुकड़ियों, चिकित्सा दलों और उपकरणों को बचाव प्रयासों में लगाया गया है. फंसे हुए लोगों को तेजी से निकालने के लिए सुलूर के वायु सेना स्टेशन से भारतीय वायु सेना के दो हेलीकॉप्टर को प्रभावित इलाके में भेजा गया है.
केरल सरकार के अनुरोध पर एझीमाला नौसैन्य अकादमी से नौसेना का एक दल भी बचाव प्रयासों में मदद करेगा. वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित लोगों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए बहु-आयामी बचाव अभियान चलाया जा रहा है. केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में बताया कि पिनरायी विजयन के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) कार्तिकेयन को बचाव अभियानों के साथ समन्वय करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है.
इसमें कहा गया है कि इस संबंध में स्थानीय स्वशासन विभाग के प्रधान निदेशक वी. संबाशिव राव को विशेष अधिकारी नियुक्त किया गया है. वह वायनाड से काम करेंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूस्खलन की घटनाओं में लोगों की मौत पर दुख व्यक्त किया और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को संकट से निपटने के लिए केंद्र से हर संभव मदद का आश्वासन दिया.
मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘वायनाड में कुछ जगहों पर भूस्खलन की खबर से व्यथित हूं. मेरी संवेदनाएं उन सभी लोगों के साथ हैं, जिन्होंने अपने प्रियजन को खोया है और जो घायल हुए हैं, मैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं. प्रभावित लोगों की मदद के लिए बचाव अभियान जारी है.’’
मोदी ने लिखा, ‘‘केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन से बात की और वहां उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर केंद्र से हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया.’’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री विजयन से बात कर भूस्खलन प्रभावित वायनाड के हालात का जायजा लिया. उन्होंने विजयन को स्थिति से निपटने के लिए केरल को केंद्र की तरफ से हर संभव मदद का भरोसा भी दिलाया.
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