FIR एक्टर Ishwar Thakur किडनी की बीमारी और वित्तीय संकट से हैं परेशान, एक्टर के पास डायपर खरीदने तक के नहीं हैं पैसे, रद्दी पेपर से चलाते हैं काम  

ईश्वर ठाकुर कहा, पिछले कुछ दिनों से मैं किडनी से जुड़ी परेशानी से जूझ रहा हूं. इससे मेरा यूरीन पर कंट्रोल नहीं है. इस परेशानी के शुरुआती समय में मैं डायपर का उपयोग करता था. अब मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं डायपर भी खरीद सकूं.

ईश्वर ठाकुर (Photo Credits: Instagram)

Ishwar Thakur Opens Up About His Kidney Ailment and Financial Crisis: भाबी जी घर पर हैं और एफआईआर जैसे शो का हिस्सा रह चुके एक्टर ईश्वर ठाकुर की माली हातल बेहद खराब है. उन्हें कोरोना के बाद से कोई काम नहीं मिल रहा है और वे किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं. उनके पास न ही इलाज कराने के पैसे हैं और न ही डायपर खरीदने के पैसे एक एंटरटेनमेंट पोर्टल को एक्टर ने बताया है कि वे रद्दी पेपर से काम चला रहे हैं. क्योंकि किडनी की बिमारी की वजह से पेशाब पर उनका कोई कंट्रोल नहीं है. साथ ही उनके घर में एक बीमार मां और भाई भी बीमार रहता है. Tunisha Sharma Death Case: तुनिषा शर्मा के मामा ने पुलिस से की अपील, हर एंगल से हो जांच, तुनिषा शर्मा पहनने लगी थी हिजाब

ईश्वर ठाकुर ने आज तक को दिए इंटरव्यू में कहा, पिछले कुछ दिनों से मैं किडनी से जुड़ी परेशानी से जूझ रहा हूं. मेरा पैर भी काफी सूज गया है. इससे मेरा यूरीन पर कंट्रोल नहीं है. इस परेशानी के शुरुआती समय में मैं डायपर का उपयोग करता था. पर अब मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं डायपर भी खरीद सकूं. फिलहाल कागज और रद्दी न्यूजपेपर से काम चला रहा हूं.

ईश्वर ठाकुर ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा,मैं किसी अच्छे डॉक्ट के पास इलाज के लिए भी नहीं जा पा रहा हूं. पहले तो मैं आयुर्वेदिक के सहारे काम चला रहा था लेकिन वो भी अब बंद कर दिया है,क्योंकि मेरे पास इलाज तक के पैसे नहीं बचे हैं. एक्टर ने अपने घर की स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि मेरे घर पर मां और भाई की तकलीफ बहुत ज्यादा है. इन तकलीफों के बीच मैं अपने बारे में सोच ही नहीं पाता हूं.

मेआई कम इन मैडम एक्टर ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, मेरा भाई सिजोफ्रेनिया से पीड़ित है. पहले हम उसका इलाज सरकारी अस्पताल में करवा रहे थे. लेकिन डॉक्टर्स और अस्पताल ने जब हाथ खड़े कर दिए. तो अब उसे नासिक की तरफ एक आश्रम में भर्ती करवाया है. आश्रम वाले तीन हजार रुपए लेते हैं लेकिन मैं वह भी नहीं भर पा रहा हूं. मेरी मां पिछले लॉकडाउन से ही बिस्तर पर हैं. उन्हें होश भी नहीं होता है, वह कपड़ों में ही पेशाब कर देती हैं.

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