जन्मदिन विशेष: घर से भाग गये थे युवा दिलीप कुमार, सैंडविच बेचने पर हुए थे मजबूर, जानें उनकी जिंदगी से जुड़े ये रोचक किस्से
दिलीप कुमार (Photo Credits: File Photo)

Dilip Kumar 97th Birthday Anniversary: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में दिलीप कुमार एक ऐसा नाम है जिन्हें देखकर कई बड़े कलकारों ने एक्टर बनने का सपना देखा था. उनके भाव और उनकी अदायगी ने लोगों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी और भले ही अब उन्हें फिल्मों में काम किये 20 साल से भी ज्यादा समय बीत चूका है. लेकिन आज भी लोग उन्हें उतना ही प्रेम करते हैं और उनके काम के लिए उन्हें याद करते हैं.

दिलीप कुमार का जन्म सन 1922 में किस्सा ख्वानी बाजार, पेशावर (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है) में हुआ था. उनके पिता का नाम लाला गुलाम सरवर अली खान और मां का नाम आयशा बेगम था. जन्म के बाद उनके माता-पिता ने उनके नाम युसूफ रखा था. फिल्मों में एंट्री करने के दौरान ही उन्होंने अपना नाम बदलकर दिलीप कुमार रखा था.

राज कपूर के साथ नाशिक में पले-बड़े दिलीप कुमार 

राज कपूर और दिलीप कुमार (Photo Credits: Facebook)

दिलिप कुमार ने बार्नेस स्कूल, देओलाली (Deolali) में अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी. राज कपूर उनके बचपन के दोस्त थे और ये दोनों एक साथ एक ही माहोल में पले-बड़े हैं.

घर छोड़कर भाग गए थे दिलीप कुमार 

दिलीप कुमार ने सन 1940 में अपने पिता के साथ हुई बहस के बाद घर छोड़ दिया था. वो भागकर पुणे चले गए थे. बताया जाता है कि तब वो टीनएजर थे.

पुणे जाकर शुरू किया सैंडविच स्टॉल

घर से पुणे भागने के बाद वहां उनकी मुलाकात एक पारसी कैफे मालिक से हुई. दिलीप कुमार ने उन्हें अपने परिवार वालों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी थी लेकिन उनके अंग्रेजी बोलने और लिखने के हुनर के आधार पर उन्हें काम मिल गया. काम के दौरान उन्होंने अपना सैंडविच स्टॉल भी शुरू किया जिससे उन्होंने 5,000 रुपये की बचत की और इसे लेकर वो घर वापस आए.

1942 में फिल्मों में रखा कदम

1942 में उनकी मुलाकात डॉक्टर मसानी से हुई. उस समय दिलीप अपने पिता की आर्थिक रूप से मदद करना चाहते था और इसलिए वो भी काम करने चल पड़े. मसानी उन्हें मलाड में बॉम्बे टॉकीज ले गए जहां उनकी मुलाकात एक्ट्रेस देविका रानी से हुई. वो बॉम्बे टॉकीज की मालकिन थी. उर्दू भाषा का बढ़िया ज्ञान होने के कारण यहां उन्हें 1,250 रुपये के प्रति माह तनख्वाह पर स्क्रिप्ट राइटर की नौकरी मिल गई.

देविका रानी के कहने पर नाम युसूफ से बदलकर किया दिलीप कुमार

देविका रानी ने उन्हें अपना नाम युसूफ से बदलकर दिलीप कुमार करने को कहा और इसके बाद उन्हें  1944 में फिल्म 'ज्वर भाटा' में लीड रोल दिया.

1950 का दशक था दिलीप कुमार के नाम

दिलीप कुमार को 1949 अपनी फिल्म 'अंदाज' से काफी पॉपुलैरिटी मिली जिसमें वो राज कपूर और नर्गिस के साथ नजर आए, इसके बाद उनकी फिल्म 'जोगन' 'हलचल', 'बाबुल', 'नया दौर', 'देवदास', 'दाग' और 'मधुमती' को भी खूब सफलता मिली. 1960 में रिलीज हुई उनकी फिल्म 'मुगल-ए-आजम' देश की सबसे लोकप्रिय फिल्मों में से एक बनी और इसने उनकी एक अलग पहचान बनाई.

ट्रेजेडी किंग कहलाने लगे थे दिलीप कुमार

दिलीप कुमार फिल्मों में अपने रोल्स के चलते डिप्रेशन में चले गए थे. उनके किरदार को देखते हुए लोग उन्हें ट्रेजेडी किंग कहने लगे थे. इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें लाइटर रोल्स निभाने की सलाह दी थी.

1950 में 1 लाख प्रति फिल्म चार्ज करने वाले पहले एक्टर थे दिलीप कुमार 

 

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दिलीप कुमार को सत्यजीत रे एक मेथड एक्टर मानते थे. 50 के दशक में पहले ऐसे एक्टर थे जो प्रति फिल्म के 1 लाख रूपए चार्ज करते थे.

22 साल छोटी सायरा बानो से की शादी

1966 में सायरा बानो से दिलीप कुमार ने शादी कर की थी. सायरा उनसे 22 साल छोटी हैं. सायरा से  पहले दिलीप कुमार मधुबाला से प्रेम करते थे और 7 साल तक उनके साथ रिलेशनशिप में थे लेकिन बाद में उनके बीच मतभेद हो गया.

आज जहां दिलीप कुमार 97 वर्ष के हो गए हैं ऐसे में उन्हें देश और दुनियाभर से उनके चाहनेवाले बधाई संदेश भेज रहे हैं.