Chhapaak Movie Review: दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म 'छपाक' इस हफ्ते रिलीज होने जा रही है. 2018 की शुरुआत में फिल्म 'पद्मावत' रिलीज हुई और तकरीबन 2 साल के बाद दीपिका एक बेहद गंभीर विषय पर फिल्म लेकर दर्शकों के सामने हाजिर हैं. एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल पर आधारित फिल्म 'छपाक' में वो उनकी मुख्य भूमिका निभा रही है. ये फिल्म कई वजहों से चर्चा में है और हम आपके लिए खासतौर पर इस फिल्म का रिव्यू लेकर आए हैं.
कास्ट: दीपिका पादुकोण और विक्रांत मैसी
निर्देशक: मेघना गुलजार
रेटिंग्स: 3.5 स्टार्स
कहानी: फिल्म 'छपाक' कहानी है लक्ष्मी अग्रवाल नाम की महिला की जो अप्रैल, 2005 में दिल्ली में एसिड अटैक का शिकार हुईं थी. फिल्म में दीपिका द्वारा निभाए गए किरदार का नाम मालती है. इस फिल्म के माध्यम से मेकर्स ने दर्शाया है कि इस हमले के कारण मालती किस तरह से शारीरिक, मानसिक और सामजिक पीड़ा से गुजरती है. इतना ही नहीं, न्याय की उम्मीद में उसे कानूनी रूप से भी काफी संघर्ष करना पड़ता है. अपने ऊपर हुए हमले के चलते मालती अपना चेहरा खो बैठती है लेकिन उसके इर्द-गिर्द मौजूद लोग उसे हौंसला देते हैं और उसे वापस मजबूती से खड़ा होने में मदद करते हैं. मालती भी अपने परिवार की आर्थिक संकट को मद्देनजर रखते हुए रिकवर करने के बाद काम की तलाश में जुट जाती है और इस दौरान उनकी मुलाकत सामजिक कार्यकर्ता अमोल (विक्रांत मैसी का किरदार) से होती है. अमोल एसिड अटैक सर्वाइवर्स को न्याय दिलाने तथा उनकी मदद करने के लिए काम करते हैं. मालती भी इस मुहीम से जुड़ती हैं और एसिड अटैक जैसे गंभीर मामलों में न्यायपालिका के आगे संघर्ष करती हैं ताकि वो समाज में इसे लेकर बदलाव ला सके. फिल्म की कहानी में दिखाया गया है कि किस तरह से मालती को समाज में अपने बिगड़े हुए चेहरे के कारण परेशानी उठानी पड़ती है और इसका बुरा असर उनके जीवन में भी होता है. लेकिन अंत में मालती इन सबसे ऊपर उठकर सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती हैं और अपनी सकारात्माक सोच के साथ अपनी नई जिन्दगी शुरू करती हैं.
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अभिनय: दीपिका पादुकोण इस फिल्म की जान हैं. जिस तरह से वो मालती के किरदार में ढली हुई हैं ये देखकर कहीं नहीं लगता कि वो उनका नाट्य रूपांतरण कर रही हैं. फिल्म में एसिड अटैक, अस्पताल और कोर्ट के सीन्स में दीपिका के इमोशन्स और एक्सप्रेशन्स देखकर आप भी भावुक हो उठेंगे. यहां उनकी एक्टिंग काफी प्रभावशाली नजर आती है. इसके बाद विक्रांत मैसी जोकि एक सामाजिक कार्यकर्ता के किरदार में हैं, वो यहां काफी बढ़िया काम करते हुए नजर आए. उनके अंदाज में अनुशासन और उनके डायलॉग्स में उनके किरदार की गहराई नजर आती है. फिल्म में मधुरजीत सरगी जोकि मालती के वकील का किरदार निभा रही हैं, उन्होंने भी काफी दमदार अभिनय निभाकर हमें इम्प्रेस किया है.
म्यूजिक: म्यूजिक की बात की जाए तो यहां मेकर्स ने इसके दृश्यों के अनुसार गानें सेट किए हैं जो मालती की कहानी और उनके दर्द को बयां करती है. फिल्म में गानों के बोल आपके दिल को छू लेंगेऔर ये हमें सोचने पर मजबूर कर देंगे. ऐसे में म्यूजिक के मामले में मेकर्स ने उमदा काम किया है. फिल्म के बैकग्राउंड म्यूजिक की बात की जाए तो इसपर भी बारीकी से काम किया हुआ नजर आता है.
फाइनल टेक: ये फिल्म न सिर्फ लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी है बल्कि हर उस इंसान की कहानी है जिसे एसिड अटैक जैसे भयावह जुर्म का शिकार होना पड़ा है. फिल्म में पीड़िता के दर्द को इतनी सेंसिटिविटी के साथ दर्शाया गया है कि एक दर्शक होने के नाते आप भी इसे महसूस कर पाएंगे. फिल्म के सीन्स और किरदारों के डायलॉग्स उनकी व्यथा को दर्शाते हैं. फिल्म की कहानी आपको झकझोड़ कर रख देगी. फिल्म का फर्स्ट हाफ जहां बेहतरीन है वहीं अंतराल के आबाद इसकी कहानी कुछ हद तक एक सोशल कैंपेन की तरह नजर आती है. ये फिल्म मनोरंजन से ऊपर उठकर समाज को आइना भी दिखाती है. बताते चलें कि ये फिल्म कमजोर दिल वालों के लिए नहीं क्योंकि मालती और उनके जैसी ही अन्य कई पीड़िताओं की इस कहानी के सीन्स आपको हैरान कर देंगे. ओवरऑल बात की जाए तो 2 घंटे की ये फिल्म बेहतरीन है और आप इसे सिनेमाघरों में देखने जा सकते हैं.