Junglee Movie Review: विद्युत जामवाल का जबरदस्त एक्शन नहीं आया काम, कमजोर डायलॉग्स और साधारण अदाकारी ने मजा किया किरकिरा
फिल्म 'जंगली' का रिव्यू (Photo Credits: File Image)

विद्युत जामवाल (Vidyut Jammwal) के जबरदस्त एक्शन के बहुत से लोग दीवाने हैं. 'फोर्स' और 'कमांडो' जैसी फिल्मों से दर्शकों का दिल जीत चुके विद्युत एक बार फिर से एक्शन से भरपूर एक फिल्म लेकर आए हैं. फिल्म 'जंगली' (Junglee) इस शुक्रवार बड़े पर्दे पर रिलीज होने जा रही है. इस बार विद्युत जामवाल का जबरदस्त एक्शन कुछ ज्यादा काम नहीं आया क्योंकि फिल्म में बहुत सी ऐसी खामियां हैं जो इसे बोरिंग बना देती हैं. फिल्म के डायलॉग्स काफी फीके हैं और विद्युत जामवाल का अभिनय भी प्रभावित नहीं करता है. हालांकि, कुछ लाजवाब एक्शन सीन्स और बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी के लिए दर्शक इस फिल्म को देख सकते हैं.

कहानी: फिल्म में विद्युत जामवाल ने राज नामक डॉक्टर का किरदार निभाया है. राज जानवरों का डॉक्टर है और मुंबई में रहता है. अपनी मां की बरसी पर वह अपने गांव चंद्रिका जाता है. राज और उसके पिता के बीच ज्यादा बातचीत नहीं होती है. बचपन से ही राज को जानवरों से काफी लगाव होता है. धीरे धीरे राज को इस बात की जानकारी मिलती है कि उसके गांव के हाथी अब सुरक्षित नहीं है. कुछ शिकारी हाथियों के झुण्ड पर हमला भी कर देते हैं. इसके बाद कहानी किस प्रकार आगे बढ़ती है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखने पड़ेगी. फिल्म का पहला हाफ बेहद धीमा है. सिर्फ पहले हाफ के अंत में रफ्तार थोड़ी तेज होती है. फिर लगता है कि दूसरा हाफ रोमांचक होने वाला है लेकिन इंटरवल के बाद भी निराशा ही हाथ लगती है. एक दृश्य में स्वयं भगवान गणेश प्रकट हो जाते हैं. वो सीन सच में समझ के परे है. शायद निर्देशक चक रसेल (Chuck Russell) को इंडियन ऑडियंस को समझने में थोड़ा और समय लगेगा.

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निर्देशक: 'द मास्क' और 'द स्कोर्पियन किंग' जैसी सफल हॉलीवुड फिल्मों का निर्देशन कर चुके चक रसेल ने फिल्म 'जंगली' का डायरेक्शन किया है. फिल्म के मेकर्स को शायद लगा होगा कि इससे उनको फायदा होगा लेकिन यही शायद फिल्म की खामी है. चक रसेल शायद भारतीय दर्शकों के टेस्ट को समझने में असफल रहें. ट्रेलर देखकर ऐसा लगा था कि फिल्म काफी ग्रैंड होने वाली है मगर ऐसा कुछ भी नहीं है. जाहिर तौर पर  'जंगली' को बेहतर बनाया जा सकता था.

अभिनय: विद्युत जामवाल का एक्शन तो दमदार है लेकिन वह अपने अभिनय द्वारा प्रभाव डालने में नाकामयाब हुए हैं. अतुल कुलकर्णी (Atul Kulkarni) और मकरंद देशपांडे (Makarand Deshpande) की अदाकारी काबिले तारीफ है. उनका विलेन वाला अवतार ऑडियंस को पसंद आ सकता है. पूजा सावंत (Pooja Sawant) ने इस फिल्म से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की है और उन्होंने अपने किरदार को बखूबी निभाया है. आशा भट्ट (Asha Bhatt) भी इस फिल्म से अपना डेब्यू कर रही हैं मगर इस फिल्म में उनका अभिनय साधारण है.

म्यूजिक: फिल्म के कुछ स्लो सॉन्ग्स काफी अच्छे हैं. साथ ही बैकग्राउंड स्कोर भी बढ़िया है और एक्शन सीक्वेंस्स को पूरी तरह से सपोर्ट करता है.

फिल्म की खूबियां:

1. बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी

2.कुछ जबरदस्त एक्शन सीक्वेंस्स

फिल्म की खामियां:-

1.कमजोर डायलॉग्स

2. विद्युत जामवाल की साधारण अदाकारी

3.कुछ अटपटे सीन्स

4.धीमी रफ्तार

कितने स्टार्स ?

विद्युत जामवाल के फैन्स ही इस फिल्म को बर्दाश्त करने में सफल होगे. हम इस फिल्म को 2 स्टार्स देने चाहेंगे.

Rating:2out of 5