Bois Locker Room: बॉयज लॉकर रूम पर भड़की शाहिद कपूर की पत्नी मीरा राजपूत, कहा- अपने बेटों को 'ना' का मतलब सिखाओ 
प्रतीकात्मक तस्वीर और मीरा राजपूत (Photo Credits: Instagram)

Bois Locker Room: एक तरफ जहां पूरा देश कोरोना वायरस (Coronavirus) से जूझ रहा है वहीं बॉयज लॉकर रूम का भंडाफोड़ जिसे देखकर इंटरनेट पर काफी हल्ला मचा. दिल्ली के कुछ स्कूली लड़कों ने इंस्टाग्राम पर 'बॉयज लॉकर रूम' नाम का एक अश्लील ग्रुप बनाया था जहां यौन शोषण और गैंग रेप जैसे अपराध को बढ़ावा देने की बातें की जाती थी. इस ग्रुप के कुछ स्क्रीनशॉट्स सोशल मीडिया पर लीक हुए जिसके बाद इस पूरे ग्रुप की सच्चाई लोगों के सामने आई. इस ग्रुप में नाबालिग बच्चे लड़कियों की अश्लील फोटोज (Explicit Photos) और गंदे जोक्स (Adult Jokes) शेयर किया करते थे. इसे लेकर इंटरनेट पर काफी बवाल मचा है और बॉलीवुड सेलिब्रिटीज भी इसे लेकर अपना क्रोध प्रकट कर रहे हैं.

सोनम कपूर, स्वरा भास्कर के बाद शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) की पत्नी मीरा राजपूत (Mira Rajput) ने भी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस ग्रुप को लेकर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि महिलाओं को पहले अपने बच्चों को ये सिखाना चाहिए कि लड़कियों के साथ कैसे बर्ताव करना चाहिए. अपने पोस्ट में उस महिला ने कहा कि उन्हें सहमती और लैंगिक समानता का आर्थ समझाया जाना चाहिए.

मीरा ने आने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, "अगर आप भारत जैसे देश में एक लड़के का पालन पोषण कर रहे हैं तो मेरा ये आग्रह समझिए कि हमारी जिंदगी हमारे हाथों में है. बजाये की मां-बाप हमें सावधानी से रहना सिखाए, अपने बेटों को ये सिखाएं कि सहमती क्या होती है. अपने बेटों को लैंगिक समानता के बारे में समझाएं. उन्हें ये सिखाएं कि ना का मतलब क्या होता है."

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मीरा राजपूत का सोशल मीडिया पोस्ट (Photo Credits: Instagram)

मीरा ने आगे लिखा, "लड़कों को ये सिखाएं कि वो महिलाओं के शरीर और उसके ध्यान के हमेशा हकदार नहीं हैं. बजाये ये कि हमारे मां-बाप हमें शील रहना सिखाएं, अपने बेटों को पर्सनल स्पेस के बारे में समझाएं. हमें लोगों के घूरने को नजर अंदाज करने से बेहतर बेटों को सिखाएं कि घूरना बंद करें. अपने बेटों की स्वस्थ मर्दानगी, स्वस्थ रोमांस और स्वस्थ शारीरिक संबंधों के बारे में सिखाएं."

मीरा ने लिखा कि बेटों को ये सिखाना चाहिए कि भावनाएं कैसे व्यक्त की जाती हैं. हिंसा कोई मार्ग नहीं होता और कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी ने क्या पहना है या क्या पी रखा है. हमें ऐसे बेटे बनाने की जरूरत है जिनसे डरने की जरूरत न पड़े. बेटियों को प्रताड़ना से बचने की सीख देने से बेहतर अप्बे बेटों को सिखाएं कि प्रताड़ित करना माफी के लायक नहीं होता. बेटियों को अविश्वासी दुनिया से बचने की सीख देने की बजाय बेटों को इसे बदलने की सीख देना बहुत जरूरी है.