मुंबई : फिल्मकार अनुभव सिन्हा (Anubhav Sinha) की समाज में जातिगत भेदभाव पर बनी नई फिल्म 'आर्टिकल 15' (Article 15) की व्यापक स्तर पर सराहना की जा रही है. अनुभव का कहना है कि जिन फिल्मों की अपनी सशक्त आवाज है उनकी तुलना में लोग शुद्ध मनोरंजक फिल्मों को गंभीरता से नहीं लेते. सिन्हा इससे पहले 'दस', 'तुम बिन', 'कैश' और 'रा.वन' जैसी फिल्में बना चुके हैं. शुक्रवार को वह अपनी फिल्म का प्रचार करने के लिए मीडिया से बात कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि जब से उन्होंने 'मुल्क' और 'आर्टिकल 15' जैसी सामाजिक रूप से प्रासंगिक फिल्में बनानी शुरू की हैं, तब से दर्शकों से उन्हें और अधिक स्वीकृति मिलनी शुरू हो गई है.
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अनुभव ने कहा, "लोगों का कहना है कि उन्हें मेरी पहली फिल्मों की अपेक्षा इस तरह ( 'मुल्क' और 'आर्टिकल 15') की फिल्में पसंद हैं. मुझे लगता है कि शुद्ध मनोरंजन फिल्मों के साथ समस्या यह है कि लोग ऐसी फिल्मों को गंभीरता से नहीं लेते हैं. शुद्ध मनोरंजन फिल्मों को लोग कम तवज्जो देते हैं और जिन फिल्मों की अपनी सशक्त आवाज होती है लोगों से उन्हें ज्यादा इज्जत मिलती है. यह एक सच्चाई है."