नयी दिल्ली, 28 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को जेल प्रशासन से पूछा कि यदि जमानत विस्तार के आदेश वापस ले लिए जाए, तो क्या उनके पास जमानत अवधि खत्म होने के बाद जेल लौटने वाले सभी कैदियों के लिए पर्याप्त संख्या में पृथक वार्ड हैं।
उच्च न्यायालय ने जेल प्रशासन से राष्ट्रीय राजधानी की तीन जेलों में कोविड-19 मामलों की संख्या, जमानत पर बाहर गये कैदियों की संख्या और अगले महीने आत्मसमर्पण करने वाले कैदियों की संख्या और प्रत्येक जेलों में पृथक वार्डों की संख्या के संबंध में जानकारी मांगी है।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली में कोविड-19 मामलों में वृद्धि पर भी चिंता व्यक्त की है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने उच्च न्यायालय के 13 जुलाई और 24 जुलाई के आदेशों को संशोधित करने के लिए दायर एक अर्जी की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। पिछले आदेश में 16 मार्च के पहले या उसके बाद अंतरिम जमानत/ पैरोल पर गये सभी कैदियों को राहत दी गई थी।
याचिका में कहा गया कि कैदी उन दोनों आदेशों का दुरुपयोग कर रहे हैं, वे पारिवारिक बीमारी या कुछ अन्य कारणों से जमानत मांग रहे हैं और फिर उच्च न्यायालय के निर्देश के आधार पर इसे बढ़ाने में सफल हो रहे हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा कि वह अपने आदेशों का दुरुपयोग नहीं होने देगा और यदि इसका दुरुपयोग किया जा रहा है तो वह अपने विस्तार के आदेश को वापस ले लेगा।
पीठ ने कहा, ‘‘अगर वे (कैदी) इसका दुरुपयोग कर रहे हैं, तो हम इसे रोक देंगे और फिर उन्हें भुगतना होगा।’’
अदालत ने जेल अधिकारियों से पूछा कि अगर जमानत अवधि बढ़ाने के आदेश वापस लिए जाते हैं तो क्या उनके पास वापस आने वाले कैदियों के लिए पर्याप्त संख्या में पृथक वार्ड हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘(दिल्ली में) मामलों में काफी उछाल आया है। हम वास्तव में इसको लेकर चिंतित हैं।’’
उच्च न्यायालय ने कारागार महानिदेशक (डीजी) को भी नोटिस जारी किया, जो राष्ट्रीय राजधानी में तीनों जेलों- तिहाड़, रोहिणी और मंडोली के प्रभारी हैं।
मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।
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