
ग्रीनलैंड, डेनमार्क का एक अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र है जिस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नजर है।
‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के नेतृत्व में कई उच्च पदस्थ अधिकारियों ने खुफिया एजेंसी प्रमुखों को ग्रीनलैंड के स्वतंत्रता आंदोलन और वहां अमेरिकी संसाधनों के दोहन को लेकर लोगों की भावनाओं के बारे में अधिक जानकारी जुटाने का निर्देश दिया था।
डेनमार्क ने अपने देश में शीर्ष अमेरिकी राजनयिक को बृहस्पतिवार को तलब कर उनसे इस रिपोर्ट पर स्पष्टीकरण मांगा है।
डेनमार्क के विदेश मंत्रालय ने एक ईमेल के जरिए बताया कि राजधानी कोपेनहेगन में अमेरिकी दूतावास की कार्यवाहक प्रमुख जेनिफर हॉल गॉडफ्रे ने डेनमार्क के उच्च पदस्थ राजनयिक जेप्पे ट्रानहोम-मिकेलसेन से मुलाकात की। मंत्रालय ने कोई और विवरण नहीं दिया। इस मामले में टिप्पणी करने से दूतावास ने इनकार कर दिया।
फ्रेडरिक्सन ने शुक्रवार को कहा कि यह रिपोर्ट एक अंतरराष्ट्रीय अखबार में छपी ‘‘अफवाह’’ है। उन्होंने साथ ही कहा कि ‘‘आप किसी सहयोगी के खिलाफ जासूसी नहीं कर सकते’’ हैं।
समाचार पत्र ने रिपोर्ट में अमेरिका के इस कदम से परिचित दो अधिकारियों का हवाला दिया, जिनकी पहचान उजागर नहीं की गई।
‘जर्नल’ की रिपोर्ट के बारे में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में गबार्ड के कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘‘वॉल स्ट्रीट जर्नल को उन राज्येतर तत्वों की सहायता करने में शर्म आनी चाहिए जो खुफिया जानकारी लीक करके और राजनीति करके राष्ट्रपति को कमजोर करना चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वे कानून तोड़ रहे हैं और हमारे देश की सुरक्षा एवं लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं। जो लोग गोपनीय जानकारी लीक करते हैं, उन्हें ढूंढा जाएगा और कानून के तहत पूरी तरह से जवाबदेह ठहराया जाएगा।’’
ग्रीनलैंड की प्रधानमंत्री ने पिछले महीने कहा था कि ग्रीनलैंड के बारे में अमेरिका के बयान अपमानजनक हैं और यह ‘‘ऐसी संपत्ति नहीं है जिसे कोई खरीद सके।’’
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