नयी दिल्ली, 15 नवंबर: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि कोई भी कमजोर स्थिति में रहकर न तो शांति लागू कर सकता है और न ही इसके लिए बातचीत कर सकता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 'वसुधैव कुटुंबकम' जैसे आदर्शों को भौतिक दृष्टि से अर्थ तभी मिलता है जब उन्हें मजबूत स्थिति से स्पष्ट किया जाता है. धनखड़ ने यह भी कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत को शांति के निरंतर समर्थक के रूप में पहचाना जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह देश कभी भी विस्तारवाद में शामिल नहीं हुआ.’’
यहां हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि 'वसुधैव कुटुंबकम' (दुनिया एक परिवार है) के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता हमारे जीने का एक तरीका है और यह देश के वैश्विक दृष्टिकोण को निर्धारित करती है. उन्होंने कहा, ‘‘संपूर्ण मानवता के लिए हितकर इन महान आदर्शों को भौतिक दृष्टि से अर्थ तभी मिलता है जब आप उन्हें मजबूत स्थिति से स्पष्ट करते हैं. आपकी ताकत वैश्विक व्यवस्था को परिभाषित करेगी, आपकी ताकत शांति को परिभाषित करेगी.’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी कमजोर स्थिति में रहकर न तो शांति लागू कर सकता है और न ही इसके लिए बातचीत कर सकता है. उन्होंने कहा कि समुद्री व्यापार और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता में भारत की गंभीर हिस्सेदारी है. उन्होंने कहा कि 2030 तक भारत जापान और जर्मनी को पछाड़ कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। धनखड़ ने कहा, ‘जैसे-जैसे अभूतपूर्व विकास और तकनीकी पहुंच के साथ भारत की आर्थिक शक्ति बढ़ रही है, वैसे-वैसे वैश्विक और क्षेत्रीय मामलों में हमारी हिस्सेदारी और इसके साथ आने वाली चुनौतियां भी बढ़ रही हैं.’’
उन्होंने कहा कि इस तरह के संवादों का अपेक्षित परिणाम शांति सुनिश्चित करके हिंद-प्रशांत के जीवंत परिदृश्य में एक स्थिर और समृद्ध भविष्य सुरक्षित करने के लिए सभी हितधारकों का एकीकरण होगा। उन्होंने कहा, "इस परिदृश्य में दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाने की जबरदस्त क्षमता है." उन्होंने कहा कि ऐसा परिदृश्य ‘‘हमारे जीवन को बेहतर बनाता है.’’ उन्होंने कहा हिंद-प्रशांत में समुद्री व्यापार और कनेक्टिविटी के लिए समकालीन चुनौतियों का विश्लेषण करने के लिए एक विचार मंच की अवधारणा विचारशील है, विशेष रूप से वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए जिसमें कई कठिन परिस्थितियां हैं जो संभावित रूप से क्षेत्र में व्यापार के सुचारू संचालन और कनेक्टिविटी के रखरखाव को पटरी से उतार सकती हैं.
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