नयी दिल्ली, 16 अप्रैल भारत में महिला उद्यमियों द्वारा चलाये जा रहे व्यवसायों में अगले पांच साल के दौरान 90 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है। एक नये अध्ययन में यह कहा गया है। इस अध्ययन में इस बात पर भी गौर किया गया है कि महिला उद्यमियों को समर्थन देने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ उठाये जाने की दर भी काफी कम बनी हुई है।
जाने माने परमार्थ कार्य करने वाले संगठन एडेलगिव फांउडेशन ने 13 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में यह अध्ययन किया है। इनमें कुल मिलाकर 3,300 महिला उद्यमियों की जानकारी प्राप्त हुई। इन महिला उद्यमियों को तीन अलग अलग श्रेणियों में बांटा गया। महिला उद्यमियों को विनिर्माण, खुदरा कारोबार और सेवा आपूर्ति उद्यमी की श्रेणी में बांटा गया। उसके बाद इनमें से 1,235 महिला उद्यमियों को अध्ययन के लिये चुना गया और उनसे बातचीत की गई।
इन महिला उद्यमिचयों के साथ ही उनके परिवार के सदस्यों, कर्मचारियों और ग्राहकों से भी बातचीत की गई। इसके अलावा महिला उद्यमियों को प्रत्यक्ष समर्थन देने वाले 20 गैर- सरकारी संगठनों के साथ भी विस्तृत बातचीत की गई।
अध्ययन में कहा गया है कि ग्रामीण और छोटे शहरों से आने वाले महिलाओं को कारोबार शुरू करने के बाद उनके सामाजिक- आर्थिक और सांस्कृतिक रूतबे में उल्लेखनीय सुधार दिखाई दिया।
अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि सरकार की ओर से महिला उद्यमियों को समर्थन देने के लिये कई तरह की योजनाओं और नीतियों के होने के बावजूद इस तरह की योजनाओं का लाभ उठाये जाने के उदाहरण बहुत कम हैं। अध्ययन के मुताबिक, ‘‘जिन महिलाओं के बीच यह अध्ययन किया गया उनमें केवल एक प्रतिशत महिला उद्यमियों ने ही किसी सरकारी योजना का लाभ उठाया और इसकी वजह शायद यह भी हो सकती है कि केवल 11 प्रतिशत महिलाओं को ही इस तरह की योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी थी।’’
अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि जहां एक तरफ उद्यम शुरू करने के बाद महिलाओं के सामाजिक- आर्थिक जीवन में काफी सुधार आया है वहीं दूसरी तरफ यह भी देखा गया है कि अभी भी वित्तीय मामलों की जानकारी, उपलबध संसाधनों को लेकर जागरुकता, उत्पाद के विपणन, उत्पादन और उनके समक्ष आने वाले सामाजिक- सांस्कृतिक चुनौतियां कुछ हैं जो अभी भी बनी हुई हैं।
अध्ययन के नोट में कहा गया है कि महिला उद्यमियों द्वारा चलाये जा रहे कारोबार में भारत में अगले पांच साल के दौरान 90 प्रतिशत तक वृद्धि की संभावना है जबकि इसी तरह के कारोबार के मामले में अमेरिका और ब्रिटेन में क्रमश: 50 प्रतिशत और 24 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है।
अध्ययन में कहा गया है कि सरकारों को इस तरह की महिला उद्यमियों की खास जरूरतों की पहचान करनी चाहिये। उनकी जरूरतों को पूरा करने के हिसाब से बेहतर कार्यक्रम तैयार करने चाहिये। महिला उद्यमियों द्वारा बनोय गये उत्पादों के प्रचार प्रसार के लिये एक साण ब्रांड नाम के तहत उनका संवर्धन किया जाना चाहिये साथ ही उनहें अकाउंटिक सहित कौशल प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिये।
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