देश की खबरें | महिला ने गर्भपात की इजाजत मांगी, अदालत ने एम्स से मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा

नयी दिल्ली, 22 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक गर्भवती महिला की जांच करने के लिए बुधवार को एम्स को मेडिकल बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया। इस महिला ने 27 सप्ताह के अपने गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने का अनुरोध करते हुए कहा है कि भ्रूण विसंगति से पीड़ित है और इसके बचने की संभावना बहुत कम है। कुछ अपवादों को छोड़कर 24 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करना देश में गैर कानूनी है।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से कहा कि वह जल्द से जल्द बोर्ड का गठन करे ताकि महिला की जांच की जा सके और गर्भपात की संभावना के बारे में अपनी रिपोर्ट दे। अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 27 दिसंबर को सूचीबद्ध किया है।

अधिवक्ता स्नेहा मुखर्जी और सुरभि शुक्ला के माध्यम से दायर याचिका में 33 वर्षीय महिला ने गर्भ का चिकित्सकीय समापन (एमटीपी) कानून के तहत अदालत से अपने गर्भ को समाप्त करने की अनुमति मांगी है। याचिका के मुताबिक डॉक्टरों ने महिला को बताया है कि भ्रूण की स्थिति गंभीर है और बच्चे के जीवित रहने की संभावना 50 प्रतिशत से भी कम है। हृदय संबंधी दिक्कतों के कारण भ्रूण के आगे टिकने की संभावना नहीं है।

याचिका में कहा गया है कि एमटीपी कानून के तहत ‘‘अनुचित’’ प्रतिबंध के परिणामस्वरूप महिला को काफी मानसिक और शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ा है।

इस साल सितंबर में गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) कानून, 2021 लागू किया गया था। इसके तहत बलात्कार पीड़िताओं, दुराचार की शिकार और दिव्यांग, नाबालिगों, अन्य कमजोर महिलाओं सहित विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए गर्भ की ऊपरी सीमा को 20 से 24 सप्ताह तक बढ़ाने का प्रावधान करता है।

एमटीपी (संशोधन) कानून 24 सप्ताह के बाद की गर्भावस्था की स्थिति में विसंगति पर गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देता है। संशोधित कानून की धारा 2बी के तहत प्रत्येक राज्य में मेडिकल बोर्ड को अधिसूचित किया जाएगा जो 24 सप्ताह के गर्भ के बाद के भ्रूण की विसंगति के लिए एमटीपी के मामलों का आकलन करेगा।

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