श्रीनगर, छह अगस्त जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान के उकसावे पर घाटी में सामान्य जनजीवन को बाधित करने वाले अलगाववादी और आतंकवादी संगठनों का दौर इतिहास के पन्नों में सिमट गया है और अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के चार साल बाद विकास और शांति यहां का मूलमंत्र है।
पत्रकारों के एक समूह के साथ बातचीत में सिन्हा ने कहा कि परिसीमन और मतदाता सूची की पुनरीक्षण प्रक्रिया के पूरा होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने पर फैसला करना अब पूरी तरह से निर्वाचन आयोग पर निर्भर है।
उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर प्रशासन भारत के निर्वाचन आयोग के फैसले का पालन करेगा।’’
सिन्हा ने कहा कि विभिन्न स्थानीय निकायों के 32,000 से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधि केंद्र शासित प्रदेश में निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में आश्वासन दिया था कि परिसीमन प्रक्रिया के बाद विधानसभा चुनाव होंगे और जम्मू-कश्मीर को उचित समय पर राज्य का दर्जा भी मिलेगा।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव और राज्य दर्जा बहाली पर जोर दे रहे विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि जो लोग संवैधानिक पदों पर रहे हैं और संसद के सदस्य रहे हैं, अगर वे संवैधानिक प्रक्रिया को नहीं समझते हैं, तो उनकी समस्याओं का कोई इलाज नहीं है।
कश्मीरी पंडितों और प्रवासी श्रमिकों को निशाना बनाकर की जाने वाली हत्या की घटनाओं से जुड़े सवाल पर सिन्हा ने ऐसे आतंकी हमलों में ‘‘समग्र गिरावट’’ का दावा किया।
उन्होंने कहा कि पहले लोगों को बार-बार आतंकी घटनाओं का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब वे उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत ऐसा कोई कृत्य नहीं होना चाहिए।
सिन्हा ने कहा, ‘‘ऐसी उम्मीद स्वाभाविक है। हम ऐसा माहौल बनाने के लिए काम कर रहे हैं कि ऐसी कोई घटना न हो। लेकिन, कई बार छिटपुट घटनाएं होती हैं।’’
पिछली गैर-भाजपा सरकारों पर कटाक्ष करते हुए सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अस्थायी शांति के लिए पहले भी प्रयास किए गए थे, जबकि मोदी सरकार के तहत बदलाव यह है कि उनकी सरकार न केवल आतंकवादियों को समाप्त करना करना चाहती है बल्कि उस ‘‘पारिस्थितिकी तंत्र’’ को पूरी तरह से खत्म करना चाहती है, जिन्होंने उन्हें आश्रय दिया और उनका समर्थन किया।
उन्होंने बदलते परिदृश्य का उदाहरण देते हुए कहा कि 34 साल बाद मुहर्रम के दौरान यहां आशूरा जुलूस की अनुमति दी गई।
उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘अब लोग कोई भी धार्मिक जुलूस निकालने के लिए स्वतंत्र हैं और एकमात्र शर्त यह है कि इसमें देश की एकता तथा अखंडता से जुड़ा कोई नकारात्मक संदर्भ नहीं होना चाहिए।’’
पांच अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश - जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया।
विपक्षी दलों ने इन कदमों की आलोचना की है जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने जोर देकर कहा है कि उन्होंने शांति और विकास के दौर की शुरुआत की है तथा घाटी में अक्सर होने वाले संघर्ष को समाप्त किया है।
सिन्हा ने कहा, ‘‘एक बहुत बड़ा बदलाव यह है कि आम आदमी अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीने के लिए स्वतंत्र है। अब यहां किसी की ‘तानाशाही’ नहीं चलती।’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि सड़कों पर हिंसा पूरी तरह से समाप्त हो गई है और वे दिन अब इतिहास के पन्नों में समिट गए हैं, जब साल में 150 से अधिक दिन अलगाववादी और आतंकवादी संगठनों या पाकिस्तान के उकसावे पर अन्य लोगों द्वारा हड़ताल के आह्वान के रूप में बीतते थे।
उन्होंने कहा कि इस बदलाव को देखने के लिए रात में झेलम रिवरफ्रंट या पोलो व्यू मार्केट जाया जा सकता है, जहां लोग आनंद लेते नजर आते हैं।
उपराज्यपाल ने कहा कि जिस तरह से श्रीनगर ने हालिया जी20 बैठक की मेजबानी की, उसकी सर्वत्र प्रशंसा हुई।
सात अगस्त, 2020 को उपराज्यपाल का पदभार संभालने वाले सिन्हा ने कहा कि उनके प्रशासन ने अधिक से अधिक सेवाओं को लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अंतर्गत लाया है। वर्ष 2019 की तुलना में 35 से बढ़कर अब 675 सेवाएं ऑनलाइन प्रदान की जाती हैं।
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