लंदन, 26 मई ब्रिटेन की एक अदालत ने बुधवार को विजय माल्या की भारत में कानूनी कार्यवाहियों के खर्च को पूरा करने के लिए, अदालत द्वारा रोके गए पैसे निकालने की मांग से जुड़ी याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह 7,50,000 पाउंड की अपनी मांग के समर्थन में पुख्ता सबूत पेश करने में नाकाम रहे हैं।
ब्रिटेन के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रॉबर्ट माइल्स ने भरातीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले भारतीय बैंकों के एक समूह के पक्ष में फैसला सुनाया।
उन्होंने माल्या को यह कहते हुए अपनी याचिकाओं के खर्च का 95 प्रतिशत हिस्सा वहन करने का निर्देश दिया कि बैंकों ने अदालत द्वारा रोके गए पैसों में से और पैसे निकालने पर रोक के मामले में "बेहद सफलतापूर्वक" अपना पक्ष रखा और इसमें "सीधी-सीधी जीत" हासिल की।
न्यायमूर्ति माइल्स ने कहा, "अलग-अलग कार्यवाहियों पर हुए खर्च का ब्यौरा नहीं दिया गया, पहले से उठाए जा चुके कदमों के संदर्भ में खर्च को उचित ठहराने के लिए कोई कोशिश नहीं की गयी, मांगी जा रही धनराशि के समर्थन में खर्च का कोई बिल, विवरणात्मक कार्यक्रम या कोई भी दूसरा सबूत पेश नहीं किया गया।"
इससे पहले फरवरी में ब्रिटेन की एक अदालत ने माल्या को उसके रहन-सहन के खर्च और ब्रिटेन में चल रहे दिवाला मामले से जुड़े कानूनी खर्चें पूरी करने के लिए अदालत निधि कार्यालय (सीएफओ) से करीब 11 लाख पाउंड के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। दिवाला मामले से जुड़ी अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।
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