पिथौरागढ़, 28 दिसंबर उत्तराखंड के चंपावत जिले में एक महिला ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपनी मित्र को आदमखोर बाघ के पंजे से छुड़ा लिया और हिंसक जानवर को मौके से भागने को मजबूर कर दिया।
चंपावत के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ)आर.सी. कांडपाल ने बृहस्पतिवार को बताया कि घटना टनकपुर क्षेत्र के उचोलीगोठ गांव में बुधवार को हुई जब गीता देवी तथा जानकी देवी निकटवर्ती बूम रेंज के जंगलों में मवेशियों के लिए चारा लेने गयी थीं और अचानक बाघ ने गीता देवी पर हमला कर दिया ।
वन अधिकारी ने बताया, ‘‘गीता देवी को बाघ द्वारा घसीटकर जंगल में ले जाते देख जानकी देवी घबराने की बजाय अपनी दरांती (हंसिया)लेकर उसके पीछे दौड़ी। चिल्लाने के साथ ही जानकी दौड़ते-दौड़ते बाघ पर पत्थर भी फेंकती जा रही थी। थोड़ी देर चले संघर्ष के बाद बाघ गीता देवी को छोड़कर भाग गया।’’
इसी दौरान, कई महिलाएं भी मां पूर्णागिरी देवी के नारे लगाते हुए मौके पर पहुंच गयी और गीता देवी की जान बचाने के लिए देवी का आभार जताया।
जानकी ने बाद में बताया कि बाघ ने उस पर भी आक्रमण करने का प्रयास किया लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपनी मित्र को बचाकर ही दम लिया।
बाघ के हमले में घायल हो गयी महिला गीता देवी को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया जहां उसके सिर में 21 टांके लगाने के बाद बेहतर उपचार के लिए उच्च स्वास्थ्य केंद्र के लिए रेफर कर दिया गया ।
डीएफओ ने बताया कि इस क्षेत्र में बाघ और तेंदुओं की अच्छी तादाद है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को जंगलों के पास अकेले न जाने तथा बाघों और तेंदुओं की मौजूदगी को देखते हुए सावधान रहने की सलाह दी गयी है।
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