Uttarakhand: बेनीताल को भारत के पहले खगोल गांव के रूप में विकसित करने के लिए ‘एस्ट्रो कैंप’ का आयोजन
Benital (Photo Credit: @ssrawat28/ Twitter)

गोपेश्वर (उत्तराखंड), 21 मई: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बेनीताल को भारत के पहले ‘खगोल गांव या एस्ट्रो विलेज’ के रूप में विकसित करने के लिए आयोजित ‘एस्ट्रो कैंप’ का रविवार को समापन हो गया. पर्यटन कंपनी स्टारस्केप्स के सहयोग से चमोली जिला प्रशासन द्वारा दूसरी बार आयोजित तीन दिवसीय ‘एस्ट्रो कैंप’ के बारे में चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा कि बेनीताल को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है जिससे आसपास के ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें और पर्यटन के साथ यह आजीविका का स्रोत भी बने. यह भी पढ़ें: Uttarakhand: भाजपा नेता की बेटी का मुस्लिम युवक के साथ तय थी शादी, फिर अचानक क्यों कैंसिल हो गया विवाह?

पर्यटन क्षेत्र में खगोल विद्या या चांद-तारों और ग्रह-नक्षत्रों को निहारने के प्रति लोगों के बढ़ते रूझान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शिविर को काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और काफी संख्या में बाहरी राज्यों के भी पर्यटक यहां पहुंचे. उन्होंने कहा कि तारों को निहारना, खगोल फोटोग्राफी, सौर अवलोकन, खगोल तंबोला, रॉकेटरी मेकिंग, नक्षत्र दर्शन जैसी गतिविधियों के साथ इस आयोजन ने पर्यटकों को खगोल विज्ञान का अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया.

खुराना ने कहा कि समुद्र तल से 2500 मीटर की ऊंचाई, न्यूनतम मानवीय गतिविधियां और कम प्रदूषण के कारण बेनीताल ‘डार्क स्काई पार्क’ के लिए एक आदर्श स्थान है. स्टारस्केप्स के संस्थापक रामाशीष रे ने कहा कि चमोली जिला प्रशासन के साथ ‘बेनीताल एस्ट्रो कैंप’ की मेजबानी कर हमें अच्छा लगा.

उन्होंने कहा कि ‘बेनीताल एस्ट्रो कैंप’ ने पर्यटकों और खगोल विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों के लिए रात में आकाश की सुंदरता को निहारने का एक अनूठा अवसर दिया. रे ने कहा कि ‘एस्ट्रो कैंप’ गतिविधियों में स्पेशल एच-अल्फा फिल्टर वाले टेलिस्कोप से सौर सतह और सौर प्रोमिनेंस का अवलोकन, बेहतर दृश्य के लिए टीवी स्क्रीन पर सीधा प्रसारण, ‘नाइट स्काई वंडर्स’ के तहत परिसर में रखे टेलीस्कोप से चंद्रमा, ग्रहों और गहरे आकाशीय पिंडों की मंत्रमुग्ध कर देने वाली सुंदरता को निहारना, विशेषज्ञ छायाकारों से रात के आसमान की अद्भुत तस्वीरें लेने की कला सीखना तथा ब्रह्मांड की सुंदरता को कैद करना शामिल था. कर्णप्रयाग से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेनीताल के लिए गैरसैंण तथा नारायणबगड़ को जाने वाले मोटर मार्ग से पहुंचा जा सकता है.

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