नयी दिल्ली, 13 मार्च कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा भारत के लोकतंत्र के बारे में लंदन में दिए गए एक बयान को लेकर राज्यसभा में सोमवार को सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप और हंगामे के कारण सदन की बैठक पूरे दिन बाधित रही।
सत्ता पक्ष ने जहां कांग्रेस नेता से इस बयान के लिए देश से माफी मांगने को कहा वहीं विपक्ष ने परंपराओं का हवाला देते हुए इस बात पर आपत्ति जतायी कि अन्य सदन के किसी सदस्य के बयान को उच्च सदन में नहीं उठाया जा सकता।
बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले ही दिन उच्च सदन में हंगामे के कारण कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजकर करीब 15 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। सदन में प्रश्न काल और शून्यकाल भी हंगामे की भेंट चढ़ गए।
सुबह बैठक शुरू होने के कुछ ही समय बाद सदन के नेता पीयूष गोयल ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि विपक्ष के एक नेता ने विदेशी धरती से ‘‘शर्मनाक तरीके’’ से भारत के लोकतंत्र के बारे में ‘‘अनाप-शनाप’’ बातें की हैं।
गोयल ने कहा कि कांग्रेस नेता ने विदेशी धरती पर कहा कि अमेरिका और यूरोप के देश भारत में आकर यहां के लोकतंत्र में हस्तक्षेप करें। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति की पूरे सदन द्वारा घोर निंदा की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के एक नेता का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि भारत को जी20 की अध्यक्षता मिली हुई है और पूरे विश्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता हैं और पूरा विश्व उनकी तरफ इस आकर्षण से देख रहा है कि वह दुनिया की समस्याओं का समाधान करने में मदद कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘विपक्षी नेता ने भारत, भारत की सेना, भारत के लोकतंत्र, मीडिया, न्यायपालिका, निर्वाचन आयोग का अपमान किया है। उन्होंने लोकतंत्र को चोट पहुंचाई है।’’
गोयल ने कहा कि इसके लिए विपक्षी नेता को सदन में आकर देश से माफी मांगनी चाहिए।
गोयल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ कांग्रेस नेता के बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि गांधी ने एक सामाजिक कल्याण संगठन के बारे में भी ‘‘गलत’’ आरोप लगाए।
उन्होंने कहा, ‘‘उनके गलत आरोपों के लिए विपक्षी दल और उसके नेता को सदन में आना चाहिए और देश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। इस सदन से माफी मांगनी चाहिए, आसन से माफी मांगनी चाहिए। और उन्हें समझना होगा कि लोकतंत्र क्या होता है।’’
उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र तब खतरे में था जब आपातकाल थोपा गया था और मीडिया की आवाज दबा दी गई थी।
उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र उस समय खतरे में था जब मंत्रिमंडल से पारित विधेयक की प्रति मीडिया के समक्ष फाड़कर फेंकी गई थी।
गोयल ने कहा, ‘‘लोकतंत्र खतरे में तब था जब प्रधानमंत्री को यह कहने के लिए मजबूर किया जाता है कि मैं भ्रष्टाचार नहीं रोक सकता क्योंकि यह गठबंधन सरकार है।’’
सदन के नेता की इस टिप्पणी का कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों ने प्रतिकार करते हुए हंगामा किया।
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इस बात पर आपत्ति जताई और कहा कि जो नेता राज्यसभा के सदस्य नहीं हैं, उनके बारे में नेता सदन ने यहां टीका-टिप्पणी की और उन्हें सदन में बुलाने की बात कर रहे हैं।
राहुल गांधी लोकसभा में केरल के वायनाड़ संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
गोयल की टिप्पणियों की निंदा करते हुए खरगे ने कहा कि यहां जो चल रहा है, उस विषय के बारे में सारी दुनिया जानती है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमने कहा कि लोकतंत्र सही तरीके से नहीं चल रहा है... संविधान के अनुसार लोकतंत्र नहीं चल रहा है, लोकतांत्रिक वसूलों के तहत नहीं चल रहा है।’’
इसी दौरान खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने चीन दौरे के दौरान की गई कुछ टिप्पणियों का उल्लेख किया। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा आरंभ कर दिया।
खरगे ने बाद में व्यवस्था के प्रश्न के नाम पर यह मुद्दा उठाते हुए सभापति जगदीप धनखड़ को सदन की परंपराओं का हवाला दिया और कहा कि उच्च सदन में अन्य सदन के किसी सदस्य के बयान पर चर्चा नहीं हो सकती है।
उन्होंने इस सिलसिले में पूर्व सभापति वी वी गिरि की एक व्यवस्था और 1983 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा ऐसे ही एक मामले में आसन का ध्यान दिलाये जाने पर सभापति की व्यवस्था का हवाला दिया।
खरगे ने आसन से मांग की कि सदन के नेता गोयल ने आज इस सिलसिले में जो कुछ भी कहा है, उसे सदन की कार्यवाही से निकाला जाना चाहिए।
इस पर गोयल ने कहा कि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है और मात्र कांग्रेस के एक नेता कहकर अपनी बात रखी है।
कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह सदन में पहली बार यह देख रहे हैं कि सत्ता पक्ष सदन को नहीं चलने दे रहा है। उन्होंने कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष की होती है।
भारत राष्ट्र समिति नेता केशव राव ने कहा, ‘‘हम में से कई संसद सदस्य विदेशी विश्वविद्यालयों में जाते हैं और वहां जाकर, जो सत्य होता है, उसे बोलते हैं।’’ उन्होंने सवाल किया कि क्या जो सत्य है, उसे बोलना गलत है?
सभापति धनखड़ ने दोनों पक्षों के नेताओं की बातें सुनकर कहा कि सदन के नेता ने किसी का नाम नहीं लिया है। उनके इतना कहते ही विपक्ष के सदस्यों द्वारा फिर से हंगामा शुरू कर दिया गया। इसके बाद सभापति ने दोपहर दो बजकर करीब 15 मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वह मंगलवार को इस मामले में अपनी व्यवस्था देंगे।
राहुल ने ब्रिटेन के मशहूर शिक्षण संस्थान कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दिए व्याख्यान में यह आरोप लगाया था कि भारत में लोकतंत्र पर हमला हो रहा है और प्रधानमंत्री मोदी भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को नष्ट कर रहे हैं।
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