Uttar Pradesh: राजभवन से लेकर बूथ तक 55 हजार से अधिक जगहों पर लोगों ने सुनी प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी को सुनने के लिए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ स्थित राजभवन में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कराया, तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी बूथ स्तर पर 55 हजार से अधिक केंद्रों पर ‘मन की बात’ का प्रसारण सुनिश्चित किया।
लखनऊ, 30 अप्रैल: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी को सुनने के लिए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ स्थित राजभवन में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कराया, तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी बूथ स्तर पर 55 हजार से अधिक केंद्रों पर ‘मन की बात’ का प्रसारण सुनिश्चित किया. यह भी पढ़ें: PM Modi "Mann Ki Baat" 100th Episode: पीएम मोदी के 'मन की बात' के 100वें एपिसोड पर कांग्रेस का तंज, पूछा- चीन, अडानी और बढ़ती आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों पर चुप क्यों?
राजभवन के गांधी सभागार में प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के प्रसारण के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अलावा पद्म पुरस्कार से सम्मानित हस्तियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की.
विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े उत्तर प्रदेश के वे 57 लोग भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए, जिनके कार्यों की प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ की किसी न किसी कड़ी में चर्चा की थी. इस अवसर पर, राज्यपाल ने ‘मन की बात’ और ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ पर केंद्रित केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा लगाई गई एक फोटो प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया.
राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागियों ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम से मिले अनुभवों को साझा किया. बरेली की शिक्षिका दीपमाला पांडेय, प्रयागराज की बच्ची नव्या वर्मा, फौजी किसान कर्नल हरिश्चंद्र, रायबरेली के रजनीश बाजपेयी और ललितपुर जिले की ग्राम पंचायत नेवारी की ग्राम प्रधान नेहा बाजपेयी समेत कई प्रमुख लोगों ने ‘मन की बात’ की कड़ियों में प्रधानमंत्री द्वारा उनका जिक्र किए जाने से उन्हें मिली लोकप्रियता के बारे में चर्चा की.
बरेली की एक शिक्षक दीपमाला पांडेय ने बताया कि वह एक समूह बनाकर 'वन टीचर-वन काल' नारे के साथ दिव्यांग बच्चों का स्कूलों में नामांकन कराने के लिए अभियान चलाती हैं और प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात में उनकी चर्चा करने से अभियान को गति मिली.
प्रयारागज से आयी एक छात्रा नव्या वर्मा ने मंच से अपना अनुभव साझा करते हुए कहा ‘‘पिछले वर्ष 30 जनवरी को ऐसा पल आया जब प्रधानमंत्री ने मेरा लिखा पत्र पढ़ने के बाद मन की बात में चर्चा की. मैंने पत्र में भ्रष्टाचार, भेदभाव, नारी सुरक्षा एवं प्रदूषण जैसी समस्याओं का वर्णन किया था.''
उन्होंने कहा '' यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है, लेकिन उससे ज्यादा यह हमारी लोकतंत्र की खूबसूरती को दर्शाता है कि किस प्रकार से एक छोटे से पोस्टकार्ड की बदौलत एक साधारण व्यक्ति देश के प्रधानमंत्री तक पहुंच सकता है.'' रायबरेली के एक गांव के निवासी रजनीश बाजपेयी ने कहा कि ''मैं कैलिफोर्निया में रहता हूं और 2015 में प्रधानमंत्री वहां गए तो प्रेरणादायक तरीके से संबोधित किया. उनसे प्रेरणा लेकर मैंने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर एक ऐप बनाया और रायबरेली के एक गांव को स्मार्ट बनाया. प्रधानमंत्री ने हमारे काम की मन की बात में सराहना की तो पूरा परिदृश्य बदल गया.''
बाजपेयी ने कहा '' हम सभी भारतीय एक साथ मिलकर काम करें तो बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं.'' मन की बात कार्यक्रम की एक कड़ी में मोदी से बातचीत कर चुकीं बुंदेलखंड के ललितपुर जिले के ग्राम पंचायत नेवारी की प्रधान नेहा बाजपेयी ने कहा, '' हमने अमृत सरोवर गांव में बनाया और मनरेगा के तहत रोजगार देकर 100 एकड़ बंजर जमीन को सिंचित किया.''
बाराबंकी के फौजी किसान कर्नल हरिश्चंद्र ने कहा ''ढाई वर्ष पहले प्रधानमंत्री जी ने ‘मन की बात’ में मेरी खेती का जिक्र किया जिससे ढेर सारे किसान मुझसे जुड़े. अब इसे जन आंदोलन के रूप में ले रहा हूं.'' कर्नल चिया बीज और ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं. हरदोई के जतिन ललित ने अपने गांव में खोले गये पुस्तकालय का जिक्र किया जिसे प्रधानमंत्री की प्रेरणा का प्रतिफल बताया गया.
फतेहगढ़ जिला कारागार में तैनात जेल अधिकारी भीमसेन ने कैदियों के अनुपयोगी कंबल से गायों के संरक्षण के लिए बनाये गये 'काऊ कोट' का जिक्र किया जिसकी 27 दिसंबर 2020 के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने सराहना की थी. अक्टूबर 2014 में प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम से चर्चित हुए मेरठ के दिव्यांग गौतम पाल ने कहा कि ''मैंने प्रधानमंत्री से प्रेरित होकर ''दिव्यांगता अभिशाप नहीं'' पुस्तक लिखी जो लोगों के लिए प्रेरणा बनी है.''
एक अधिकारी ने बताया कि चुनाव प्रचार के लिए कर्नाटक गए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वहां ‘मन की बात’ कार्यक्रम सुना, जबकि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने क्रमशः प्रयागराज और श्रावस्ती में प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम का आनंद लिया.
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा, ‘‘हमने 100 मदरसों में ‘मन की बात’ कार्यक्रम प्रसारित करने की योजना बनाई थी, लेकिन पूरे राज्य में 300 से अधिक मदरसों में कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया.’’ लखनऊ में भी इसे कई मदरसों जैसे मकसद ई हुसैनी और इरफानिया मदरसा में प्रसारित किया गया. पार्टी की अल्पसंख्यक शाखा ने पहले प्रधानमंत्री मोदी के 'मन की बात' का उर्दू में अनुवाद करवाया था.
प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक ने शनिवार को कहा था कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 100वीं कड़ी के प्रसारण को ऐतिहासिक बनाने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई गई है.
प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी में गढमुक्तेश्वर में चटाई बनाने का काम करने वाले संतोष की चर्चा की.
इससे पहले, उन्होंने कार्यक्रम की 74वीं कड़ी में संतोष के बारे में बात करते हुए कहा था कि कोरोना काल के दौरान संतोष ने विषम परिस्थितियों में जिस तरह से चटाई बनाने के अपने पुश्तैनी काम को परिवार के साथ दोबारा शुरू किया, उससे न सिर्फ उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई, बल्कि दूसरों के सामने एक उदाहरण भी पेश हुआ.
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