उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग कोविड-19 अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए ठीक से तैयार नहीं है: एनजीटी
कोरोना वार्ड (Photo Credits: PTI)

नयी दिल्ली, 14 जनवरी : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा है कि उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) कोविड-19 रोगियों के जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए ठीक से तैयार नहीं हैं. अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि राज्य के पांच जिलों बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं, पीलीभीत और रामपुर में 876 स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों से कोविड-19 अपशिष्ट संग्रह के लिए केवल एक वाहन है. पीठ ने कहा, ‘‘उनका निगरानी तंत्र अपर्याप्त है. अभिलेखों का अनुरक्षण नियमानुसार नहीं है. जैव-चिकित्सा अपशिष्ट संग्रहण के काम में भी कमी है. अपशिष्ट के संग्रह और निपटारे में शामिल श्रमिकों के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं हैं.”

पीठ ने हाल में पारित आदेश में कहा, ‘‘सामान्य कचरे से जैव-चिकित्सीय अपशिष्ट का पृथक्करण और उसके वैज्ञानिक निपटान में सुधार की आवश्यकता है.’’ अधिकरण ने कहा कि क्योंकि कोविड-19 कचरे सहित जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के प्रबंधन और निपटान में पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन में भारी अंतराल हैं, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य को खतरा है. उसने कहा कि स्थिति को ठीक करने के लिए प्रभावी उपाय अपरिहार्य हैं. यह भी पढ़ें : Karnataka: डॉक्टर ने ऑनलाइन ब्लैकमेल का शिकार होकर खुदकुशी की

अधिकरण ने मामले की उचित निगरानी के लिए राज्य और जिला स्तर पर दो समितियों का गठन किया. पीठ ने कहा, ‘‘राज्य और जिला स्तर की निगरानी समितियां अपनी सहायता के लिए किसी अन्य विशेषज्ञ/एजेंसी की मदद लेने के लिए स्वतंत्र होंगी.’’

पीठ ने कहा, ‘‘उक्त समितियां स्थिति में सुधार होने तक पहली बार में दो सप्ताह के भीतर बैठक कर सकती हैं और उसके बाद राज्य समिति महीने में एक बार और जिला समिति एक पखवाड़े में एक बार बैठक कर सकती है.’’