लखनऊ, 11 नवंबर उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने छह सीटें और समाजवादी पार्टी ने एक सीट जीतकर 2017 की अपनी उपलब्धि को बरकरार रखा लेकिन बहुजन समाज पार्टी अपने पिछले प्रदर्शन से पीछे रह गई है। कांग्रेस के लिए संतोष की बात यह रही है कि वह दो सीटों पर दूसरे स्थान पर रही।
राजनीतिक विश्लेषकों ने उपचुनाव के परिणामों के हवाले से 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए संभावना जताई है।
वर्ष 2017 में कांग्रेस ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन इस उपचुनाव में सभी प्रमुख दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे। उपचुनाव में बांगरमऊ, देवरिया, टूंडला, बुलंदशहर, नौगांव सादात और घाटमपुर सीटों पर भाजपा को जबकि मल्हनी सीट पर सपा को जीत मिली है।
उपचुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली लेकिन उन्नाव जिले की बांगरमऊ और कानपुर की घाटमपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे। वर्ष 2017 में इन सात सीटों में कांग्रेस सिर्फ घाटमपुर में लड़ी थी और तब उसके उम्मीदवार का तीसरा स्थान था। इस बार 53 फीसद से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।
उपचुनाव के परिणाम में बसपा सिर्फ बुलंदशहर में दूसरे स्थान पर रही जबकि 2017 में बसपा के उम्मीदवार बुलंदशहर, टूंडला और घाटमपुर में दूसरे स्थान पर थे।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने दावा किया कि राज्य में धीरे-धीरे मतदाताओं का कांग्रेस के प्रति झुकाव दिख रहा है। उन्होंने कहा कि हम दो सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे जबकि बसपा सिर्फ एक सीट पर ही दूसरे नंबर पर रही।
दलित राजनीति के विश्लेषक अशोक चौधरी के अनुसार बसपा के मतदाताओं के एक तबके का उससे मोह भंग हो रहा है और पुनर्विचार शुरू हो गया है। चौधरी कहते हैं कि अभी ऐसे मतदाता पूरी तरह भले ही कांग्रेस के साथ न जाए लेकिन वे उसे एक विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
समाजवादी पार्टी ने 2017 में जौनपुर जिले की मल्हनी विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी और इस बार उप चुनाव में भी उसे बचाने में कामयाब रही। 2017 में कांग्रेस के समर्थन के बाद सपा ने नौगांव सादात, बांगरमऊ और देवरिया में दूसरा स्थान हासिल किया था।
इस बार उप चुनाव में नौगांव सादात, टूंडला और देवरिया में सपा के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे हैं। हालांकि सपा मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उप चुनाव में सत्तारुढ़ भाजपा पर धांधली का आरोप लगाया है।
हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव के परिणाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय देते हुए मंगलवार को कहा था '' प्रदेश के साथ-साथ देश के भीतर हुए चुनावों के सुखद परिणाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोक कल्याण, गरीब कल्याण, राष्ट्रीय सुरक्षा, वैश्विक मंच पर भारत को प्रदान की जा रही प्रतिष्ठा और जनहित में किये गये कार्यक्रमों के प्रति जनविश्वास का प्रतीक है।''
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक उपचुनाव में भाजपा को 36.73, बसपा को 18.97, कांग्रेस को 7.53 और सपा को 23.61 प्रतिशत मत मिले हैं। इस बार समाजवादी पार्टी छह सीटों पर लड़ी और बुलंदशहर में राष्ट्रीय लोकदल को समर्थन दिया था। कांग्रेस पार्टी भी छह सीटों पर ही लड़ी क्योंकि टूंडला में उसके उम्मीदवार का नामांकन पत्र निरस्त हो गया था।
असदुद़दीन ओवैसी की पार्टी आल मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन और भीम आर्मी के गठन के बाद से सुर्खियों में आए चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने भी बुलंदशहर में अपने उम्मीदवार उतारे। बुलंदशहर में ओवैसी के उम्मीदवार
को पांच हजार से कम मत मिले वहीं आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार मोहम्मद यामीन को 13 हजार से अधिक मत मिले।
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