जरुरी जानकारी | गैर-पंजीकृत व्यक्ति रद्द अनुबंधों के लिये कर सकते हैं कर वापसी का दावा

नयी दिल्ली, 28 दिसंबर वित्त मंत्रालय ने कहा है कि गैर-पंजीकृत व्यक्ति रद्द अनुबंधों या समय से पहले बीमा पॉलिसी समाप्त होने पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) वापस करने (रिफंड) का दावा कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिये उन्हें जीएसटी पोर्टल के जरिये अस्थायी तौर पर पंजीकरण कराना होगा।

जीएसटी पोर्टल पर गैर-पंजीकृत व्यक्तियों के लिये ‘रिफंड’ की एक नई सुविधा शुरू की गयी है। जो गैर-पंजीकृत व्यक्ति जीएसटी वापस चाहते हैं, उन्हें पोर्टल पर अपने पैन (स्थायी खाता संख्या) का उपयोग कर अस्थायी तौर पर पंजीकरण प्राप्त करना होगा।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक परिपत्र में कहा कि उसे गैर-पंजीकृत खरीदारों/सेवा प्राप्तकर्ताओं से कर वापसी के दावे को लेकर सुविधा प्रदान करने के लिये प्रतिवेदन मिले थे। प्रतिवेदनों में कहा गया था कि उन्हें फ्लैट/इमारत के निर्माण से संबंधित सेवाओं की आपूर्ति से जुड़े अनुबंधों/समझौतों या दीर्घकालीन बीमा पॉलिसी के रद्द होने पर दिये गये कर की वापसी के लिये सुविधा मिलनी चाहिए।

सीबीआईसी ने कहा, ‘‘ऐसे गैर-पंजीकृत व्यक्तियों को रिफंड के लिये आवेदन की सुविधा देने के लिये...साझा पोर्टल पर एक नई व्यवस्था शुरू की गयी है। इसके तहत गैर-पंजीकृत व्यक्ति अस्थायी तौर पर पंजीकरण प्राप्त कर सकते हैं और कर वापसी के लिये आवेदन कर सकते हैं।’’

ऐसे गैर-पंजीकृत करदाता अनुबंध/समझौता रद्द होने का पत्र प्राप्त होने की तिथि से दो साल के भीतर कर वापसी के लिये आवेदन कर सकते हैं।

जीएसटी परिषद की 17 दिसंबर को हुई 48वीं बैठक में गैर-पंजीकृत खरीदारों के मामले में आवेदन देने की प्रक्रिया को लेकर परिपत्र जारी कर केंद्रीय माल एवं सेवा कर नियमों में संशोधन की सिफारिश की गयी थी।

अबतक वैसे मामलों में गैर-पंजीकृत खरीदारों के लिये कर वापसी का दावा करने की व्यवस्था नहीं थी, जहां फ्लैट/मकान या दीर्घकालीन बीमा पॉलिसी जैसी सेवाओं की आपूर्ति के लिये अनुबंध/समझौता रद्द हो गया है।

केपीएमजी इंडिया के भागीदार (अप्रत्यक्ष कर) अभिषेक जैन ने कहा, ‘‘इससे गैर-पंजीकृत खरीदारों को वैसे मामले में जीएसटी वापस हो सकेगा, जहां आपूर्ति नहीं हुई है। इससे अनावश्यक कर बोझ से बचने में मदद मिलेगी...।’’

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